रायपुर: छत्तीसगढ़ में रिटेल दवा विक्रेताओं के लिए आफत खड़ी हो गई है। ताजा मामला बिलासपुर जिले का है। यहां थोक दवा विक्रेता जीएसटी लागू होने के सप्ताह बाद भी रिटेल दवा दुकानदारों को 30 जून तारीख के बिल काट कर दे रहे हैं। थोक दवा विक्रेताओं का तर्क है कि दवा निर्माताओं के पास अभी एचएसएन कोड अपडेट नहीं हुआ है, दूसरा स्टॉक क्लियर करने और कारोबार चालू रखने के लिए बिल तो काटने पड़ेंगे। कोड अपडेट नहीं होने से उन्हें पता ही नहीं चल पा रहा कि किस दवा या उत्पाद पर कितना टैक्स है। वाणिज्यिक कर विभाग का कहना है कि इससे सीधे-सीधे सरकार को चूना लग रहा है। पुरानी डेट में बिल नहीं काटे जा सकते। ऑडिट रिपोर्ट में दवा निर्माताओं तथा विके्रताओं को दंड भुगतना पड़ेगा।
बता दें कि जीएसटी में दवाइयों पर 0 से 28 प्रतिशत तक कर लगाए गए हैं। दवाइयों पर पांच कैटेगिरी में कर निर्धारित हुए हैं। फैमिली प्लानिंग उत्पाद पर 0 प्रतिशत, दवाओं पर 5 प्रतिशत, साधारण मेडिसिन पर 12 प्रतिशत, बेबी फूड पर 18 प्रतिशत तथा व्यस्कों के फूड सप्लीमेंट पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगाए गए हैं।
रिटेल दवा विके्रताओं की शिकायत है कि जीएसटी लागू होने के 9 दिनों बाद भी उन्हें 30 जून तारीख पर ही बिल दिए जा रहे हैं जबकि ग्राहक लगातार शिकायत कर रहे हैं कि जीएसटी के अनुसार रेट होना चाहिए।
होलसेल दवा विके्रताओं का कहना है कि सॉफ्टवेयर अपडेट की प्रक्रिया जारी है लेकिन इसमें वक्तलगेगा। दवाओं की पूरी रेंज को रातों-रात अपडेट नहीं किया जा सकता। दवा निर्माता कंपनियों द्वारा एचएसएन कोड बनाए जा रहे हैं लेकिन ये नए माल पर ही लागू होंगे। जो स्टॉक हमारे पास है, उसे क्लियर तो करना ही होगा। नहीं तो टैक्स के्रडिट का लाभ नहीं मिलेगा। वाणिज्य कर अधिकारी तोरणलाल धु्रव के मुताबिक, इस संबंध में अभी कोई शिकायत नहीं मिली है। मामला सामने आने पर जांच जरूर होगी। व्यापारियों को 10 जुलाई तक करों का भुगतान करना है। खरीदी-बिक्री का आंकड़ा मैच नहीं होने पर टैक्स क्रेडिट का लाभ व्यापारियों को नहीं मिलेगा।