रोहतक (हरियाणा)। शहर में असली दवाओं के नाम पर नकली दवाइयों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। इस बात से शहरवासी और ड्रग विभाग दोनों अनजान हैं। इसी कारण ड्रग विभाग के पास नकली दवाइयों से संबंधित शिकायत तक नहीं आती। जबकि चोरी-छिपे कई मेडिकल स्टोर नकली दवाइयों की बिक्री खुलेआम कर रहे हैं और इन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। सूत्रों का दावा है कि जिले में रोजाना 4-5 लाख रुपए की नकली दवाइयां आराम से खपाई जा रही हैं। अधिकांश कैमिस्ट अपने यहां नकली और असली, दोनों तरह की दवाई रखते हैं, जिन्हें ग्राहक पहचान नहीं सकता
सूत्रों के अनुसार आसपास के कस्बों और शहरों में भी यहां से नकली दवाइयों की सप्लाई होती है। दवाई विक्रेताओं का गणित यह है कि नकली दवाइयां बेचने से उन्हें अधिक मुनाफा होता है और यह माॢजन असली दवाइयों की बिक्री में नहीं है। कई दवाई विक्रेता नकली दवाइयों के धंधे से रोजाना मोटी कमाई कर रहे हैं। अधिकांश कैमिस्ट दवाई के साथ कैश मेमो नहीं देते हैं। जो देते हैं, वे उसमें दवाई के नाम के साथ उसका बैच नंबर नहीं लिखते। मासूम लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले इस धंधे को रोकने के नाम पर प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है। एक मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि नकली दवाइयों को यहां दिल्ली से लाया जाता है। वहां से लाईं गई दवाइयों में असली और नकली में अंतर कर पाना आसान नहीं होता। इसके चलते इन दवाइयों को आसानी से ग्राहकों को बेच दिया जाता है। इनकी कीमत भी असली दवाओं से कम होती है। ड्रग्स कंट्रोलर अधिकारी डा. मनदीप मान का इस संबंध में कहना है कि नकली दवाइयों के बारे में जब भी सूचना या शिकायत मिलती है तो उस पर तुरंत प्रभाव से एक्शन लिया जाता है। समय-समय पर चैकिंग अभियान भी चलाया जाता है। नकली दवाइयों के कारोबार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।