रांची (झारखंड)। राज्य में पहली बार सरकारी अस्पतालों के लिए दवा खरीद की पॉलिसी बनाई जा रही है। इससे दवा खरीद में होने वाली अनियमितता, गड़बड़ी और मनमानी पर रोक लग सकेगी। झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन के बोर्ड ने पॉलिसी के ड्राफ्ट पर स्वीकृति दे दी है। अब स्वास्थ्य विभाग की स्वीकृति ली जाएगी। कॉरपोरेशन के एक पदाधिकारी के अनुसार, पॉलिसी में दवा खरीद के लिए अस्पताल से लेकर सिविल सर्जन, कॉरपोरेशन और विभाग की भूमिका तय कर दी गई है। दवा खरीद के लिए अनुरोध किस पदाधिकारी द्वारा और कब किया जाएगा, उस पर स्वीकृति कौन देगा, किस अस्पताल के लिए अधिकतम कितनी दवा खरीदी जाएगी आदि सभी इसमें तय कर दिए गए हैं। दवा खरीद में किसकी भूमिका क्या होगी, इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी के लिए कौन-कौन पदाधिकारी जिम्मेदार होंगे आदि भी तय होंगे। जहां तक इस पॉलिसी को लागू होने की बात है, तो इस पर विभाग की स्वीकृति ली जाएगी। उम्मीद है कि नए मंत्री के योगदान के बाद फाइल उनके समक्ष रखी जाएगी, जिसके बाद इसपर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। बता दें कि वर्तमान में दवा का खरीद कॉरपोरेशन द्वारा की जाती है। जरूरत पडऩे पर कई दवा की खरीद की अनुमति सिविल सर्जनों को भी दी जाती है। झारखंड में दवा खरीद में अक्सर गड़बड़ी सामने आती रही है। वर्ष 2008 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान में दवा खरीद में व्यापक गड़बड़ी हुई थी। सीबीआई जांच में पुष्टि होने पर कई बड़े पदाधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हुई।