नई दिल्ली: बीमारियों को सस्ती जेनेरिक दवा से ठीक करने की सरकारी कोशिश खुद रोग ग्रस्त हो गई और ऐसा हुआ जीएसटी की वजह से। महीनेभर में ही जीएसटी के कारण जेनेरिक दवाओं का वितरण गड़बड़ा गया। जन औषधि केंद्रों पर सर्दी-जुकाम की दवा तक नहीं मिल रही। कैंसर और न्यूरो जैसी बीमारियों की दवा को तो भूल ही जाएं। साधारण पेन किल्लर के लिए भी महंगी ब्रांडेड दवा खरीदनी पड़ रही है।
जनऔषधि केंद्रों की मानें तो जेनेरिक दवाओं की किल्लत वैसे तो पिछले महीने से बनी हुई थी लेकिन जीएसटी कानून के बाद संकट और गहरा गया। डिस्ट्रीब्यूटर दवा भेज ही नहीं रहे। जन औषधि केंद्रों के लिए दवा खरीदने वाली सरकारी कंपनी बीपीपीआई के मुताबिक, दवा की कमी दूर होने में दो-तीन सप्ताह और लगेंगे।
चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने के लिए डॉक्टरों को ये दवाएं लिखने की अनिवार्यता में दिलचस्पी ली है, इसलिए महकमा अतिशीघ्र इस संकट को दूर कर जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में जुटा है। यदि जीएसटी के कारण दवाओं की किल्लत ज्यादा दिन रही और मीडिया में ये खबरें सुर्खिया बनने लगी तो सरकार को दोहरी किरकिरी झेलनी पड़ेगी।