नई दिल्ली
निमोनिया सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि वयस्कों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के आंकड़ों की मानें तो साल 2017 में निमोनिया की वजह से दुनियाभर में करीब 26 लाख लोगों की मौत हो गई थी। माना जाता है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया ज्यादा फैलता है और यही वजह है कि भारत समेत दुनियाभर में बच्चों में निमोनिया की वजह से होने वाली मौत को रोकने की हर संभव कोशिश की जा रही है लेकिन वयस्कों में निमोनिया की वजह से होने वाली मौत के बढ़ते मामलों पर अब तक किसी का ध्यान नहीं गया है।
फेफड़ों का इंफेक्शन का निमोनिया
दरअसल, निमोनिया फेफड़ों का इंफेक्शन है जो आमतौर पर न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया की वजह से होता है। इस दौरान फेफड़ों में सूजन और जलन होने लगती है। निमोनिया, बैक्टीरिया, वायरस और फंगस तीनों में से किसी से भी हो सकता है। फेफड़ों में मौजूद air sacs में जब हवा की जगह पस या किसी तरह का फ्लूइड भर जाता है तो उनमें सूजन और जलन होने लगती है। इसी स्थिति को निमोनिया कहते हैं। निमोनिया बच्चों के साथ-साथ वयस्कों और खासकर बुजुर्गों को भी प्रभावित करता है। लेकिन वयस्कों में अक्सर निमोनिया के लक्षणों को साधारण फ्लू समझने की गलती की जाती है।
वयस्कों में निमोनिया के सामान्य लक्षण
– कफ जिसमें हरा रंग का, पीले रंग का या खून वाला म्यूकस आए
– बुखार के साथ पसीना आना
– शरीर में कंपकंपी महसूस होना
– सांस लेने में तकलीफ महसूस होना
– सीने में दर्द होना
– भूख मिट जाना, खाने की इच्छा न होना
निमोनिया से बचने का सबसे अच्छा तरीका है टीकाकरण
निमोनिया से बचा जा सकता है और इसे होने से भी रोका जा सकता है और इसका सबसे आसान और सुरक्षित तरीका है टीकाकरण यानी वैक्सीनेशन। निमोनिया का टीका सिर्फ बच्चों को हो नहीं वयस्कों को भी लगाया जाता है और यह वैक्सीनेशन न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने और निमोनिया होने के खतरे को कई गुना तक कम करने में मददगार है। वयस्कों में निमोनिया से बचाव के लिए वैक्सीन सबसे प्रभावी है। एक स्टडी में सामने आया है कि बच्चों में गंभीर निमोनिया होने का खतरा 35 प्रतिशत तक कम हो जाता है, अगर उन्हें बचपन में ही वैक्सीन लगवा दी जाए।