नई दिल्ली। फार्मा जायडस कैडिला की डायबिटीज के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा सैरोगलाइटेजर मैग्नेशियम को भारतीय औषिधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) से मंजूरी मिल गई है। इस दवा का उपयोग मेटफॉरमिन के साथ अतिरिक्त इलाज के रूप में किया जा सकेगा। टाइप-2 मधुमेह में शरीर की रक्त कोशिका ऊर्जा के लिए रक्त में मौजूद शर्करा का कुशलता से उपयोग नहीं कर पाती हैं। इससे पहले इस दवा को भारत में 2013 में हाइपरट्राइग्लिसराइडेमिया और मधुमेह के इलाज में उपयोग के लिए मंजूरी दी गई थी। सैरोगलाइटेजर (पिपाग्लिन) से 10 लाख से अधिक मरीजों का इलाज किया गया था। टाइप-2 डायबिटीज या ऐसी किसी भी बीमारी की जड़ में होता है व्यक्ति का खराब लाइफ स्टाइल। खानपान की गलत आदतें, मोटापा, व्यायाम की कमी, धूम्रपान और तनाव जैसी बुरी आदतें इसका प्रमुख कारण हैं। डॉक्टर अनुराग शाही बताते हैं कि शुगर को कंट्रोल करने के लिए सबसे जरूरी है। वजन पर नियंत्रण और सही समय पर सही आहार। ब्लड शुगर के लेवल पर नजर बनाए रखें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय पर दवाएं लेते रहें।