नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन को लेकर गहरी चिंताचिंता जताई है। महिलाओं में जननांगों का खतना को लेकर उनकी सेहत पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए दुनिया भर में 14 अरब डॉलर का बोझ पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल 20 करोड़ से अधिक महिलाओं और बच्चियों को इसका सामना करना पड़ता है। आमतौर पर ऐसा जन्म से 15 वर्ष के बीच किया जाता है और इसका उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है, जिसमें संक्रमण, रक्तस्राव या सदमा शामिल है। इससे ऐसी असाध्य बीमारी हो सकती है, जिसका बोझ जिंदगी भर उठाना पड़ता है। कई देश अपने कुल स्वास्थ्य व्यय का करीब 10 फीसद हर साल फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन के इलाज पर खर्च करते हैं। कुछ मध्य एशिया या अफ्रीकी देशों में यह आंकड़ा 30 फीसद तक है। डब्ल्यूएचओ के यौन, प्रजनन स्वास्थ्य व अनुसंधान विभाग के निदेशक इयान आस्क्यू ने कहा कि खतना न सिर्फ मानवाधिकारों का भयानक दुरुपयोग है, बल्कि इससे लाखों लड़कियों और महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। इससे देशों के कीमती आर्थिक संसाधन भी नष्ट हो रहे हैं। डब्लूएचओ की वैज्ञानिक डॉ. क्रिस्टीना पेलिटो ने कहा कि कई मुल्कों ने इस विकृति को समाप्त करने के लिए कानून भी बनाया है। 1997 में अफ्रीका और मध्य पूर्व के 26 देशों ने इस प्रथा कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया। 33 मुल्कों में यह प्रथा धड़ल्ले से चल रही है।