नई दिल्ली। घटिया किट भेजने पर भारत ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारत ने कहा है कि वह इसका भुगतान रोक सकता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की चीन से आई रैपिड किट इस्तेमाल न करने और इसे वापस करने की सलाह के बाद चीन ने चिंता जाहिर करते हुए इसे पूर्वाग्रह से प्रेरित बताया है। चीनी कंपनियां ये मानने को तैयार नहीं हैं कि उनकी किट की गुणवत्ता गड़बड़ है। चीन ने भारत को नसीहत देते हुए कहा है कि किट के स्टोरेज, इस्तेमाल और ट्रांसपोर्टेशन सही तरीके से प्रोफेशनल लोगों द्वारा न किया जाए तो नतीजों में अंतर हो सकता है। भारत ने गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता न करने का संदेश चीन को दिया है। वहीं, सूत्रों की ओर से कहा गया है कि घटिया गुणवत्ता वाली किट लौटाई जा सकती हैं और इनका भुगतान भी रोका जा सकता है। दोनों पक्ष इस मुद्दे पर सम्पर्क में हैं। भारत गुणवत्ता मानकों का कड़ाई से पालन पर जोर दे रहा है, जबकि चीनी कंपनियां दावा कर रही हैं कि उनके उत्पाद का सही प्रक्रिया से सर्टिफिकेशन हुआ है। चीनी कंपनियों द्वारा अन्य देशों में भेजी गई किट का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्होंने इसकी गुणवत्ता को स्वीकार किया है। भारत में स्टोरेज के तरीकों और उसके प्रोफेशनल तरीके से इस्तेमाल पर भी सवाल उठाया है। चीन की ओर से सफाई में कहा गया कि चीन में जो मेडिकल सामान बन रहा है, उसमें गुणवत्ता का ध्यान रखा जा रहा है, इनको आईसीएमआर द्वारा अनुमति प्राप्त पुणे की लैब ने भी जांचा था और सही ठहराया था। उसने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में चीन भारत के साथ खड़ा है। वह हर तरह की मेडिकल सहायता करने को भी तैयार है। राज्यों की ओर से जो शिकायतें आई हैं, उनको लेकर कंपनियों ने सफाई दे दी है। भारत ने चीन से करीब पांच लाख रैपिड टेस्टिंग किट मंगवाई थी। उन्हें अलग-अलग राज्यों को सौंपा गया था, लेकिन राज्यों ने इनके नतीजों पर सवाल खड़े किए। राजस्थान में इन टेस्टिंग किट की सफलता का प्रतिशत सिर्फ पांच फीसदी ही था। जांच के बाद आईसीएमआर ने इनके उपयोग पर रोक लगाने का फैसला लिया। आईसीएममार ने रैपिड एंटीबॉडी ब्लड टेस्ट को लेकर राज्यों को जारी एडवाइजरी में बदलाव करते हुए दो चाइनीज कंपनियों के रैपिड टेस्ट किट का इस्तेमाल रोकने को कहा है। ये दो कंपनियां हैं-गुंझाऊ वूंडफो बायोटेक और झुआई लिवजन डायग्नोस्टिक्स।