नई दिल्ली। आज भी हम सेक्स और सेक्स लाइफ से जुड़ीं समस्याओं के बारे में बात करने से हिचकते हैं।  हालांकि, कई लोग ऐसे भी हैं जो सेक्स लाइफ की गंभीर समस्याओं को लेकर खुलकर बात करने लगे हैं।  पेरोनीज (Peyronie’s) भी एक ऐसी ही बीमारी है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है जबकि ये बीमारी आपकी सेक्स लाइफ को पूरी तरह से बर्बाद कर सकती है। पेरोनीज बीमारी में पुरुषों के प्राइवेट पार्ट में कुछ टिश्यूज अलग तरीके से डेवलेप हो जाते हैं।  हालांकि यह बीमारी कैंसर से पूरी तरह अलग है।  इस बीमारी में इरेक्शन के दौरान पुरुषों का प्राइवेट पार्ट बेंड (मुड़ा हुआ) हो जाता है और कई बार दर्द का भी अनुभव होता है।

आशीष नामक एक व्यक्ति ने डॉक्टर से अपना अनुभव शेयर किया है। पेनोरीज बीमारी से पीड़ित आशीष को तब पहली बार अजीब महसूस हुआ जब उन्होंने अपने प्राइवेट पार्ट में स्कार टिश्यू  (जख्मी ऊतकों से बना निशान) देखा। आशीष  बताते हैं, ‘मुझे ऐसा लगता था, जैसे मेरी स्किन कहीं फंसी हुई हो।  मुझे कुछ दिनों बाद ही दर्द महसूस होने लगा और मेरे प्राइवेट पार्ट में एक कर्व सा बन गया। मैंने भी वही किया जो एक अधेड़ उम्र का इंसान करता, मैंने ऑनलाइन अपने लक्षणों की जांच शुरू कर दी। सर्च के बाद मुझे पता चला कि ये सारे लक्षण एक ऐसी बीमारी की तरफ इशारा करते हैं जो हर 10 पुरुषों में से एक को होती है- पेनोरीज।’

पेनोरीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें प्राइवेट पार्ट पर कुछ जख्मी ऊतकों से बने निशान या बेंडिंग की वजह से सेक्स करना असंभव सा हो जाता है।  इरेक्शन के दौरान पेनिस का आकार टेढ़ा या अजीबोगरीब हो सकता है।  किसी एक हिस्से में ग्रोथ की वजह से प्राइवेट पार्ट किसी एक दिशा में ज्यादा मुड़ जाता है, वहीं ज्यादा गंभीर मामलों में यह 90 डिग्री या उससे भी ज्यादा एंगल तक भी मुड़ सकता है। इस बीमारी का नाम 18वीं सदी के फ्रेंच सर्जन के नाम पर रखा गया है जिन्होंने इस पर सबसे पहले स्टडी की थी।  यह बीमारी ज्यादातर 40 वर्ष या उससे भी ज्यादा उम्र के पुरुषों को प्रभावित करती है।  हालांकि, युवाओं को भी यह बीमारी हो सकती है।  इसकी कोई स्पष्ट वजह तो नहीं है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि चोट, खेल या एग्रेसिव सेक्स इस कंडीशन के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।  कुछ पुरुषों में यह आनुवांशिक तौर पर हो सकता है जबकि कई स्टडीज में इसे टेस्टोस्टेरोन के कम स्तर से भी जोड़कर देखा गया है।

डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में इस बीमारी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। एंड्रोलॉजिस्ट और कंसल्टेंट यूरोलॉजिकल आसिफ मुनीर कहते हैं, अब पुरुष पहले की तुलना में मदद मांगने में ज्यादा सहज महसूस करने लगे हैं।  कई बार लोग अपने पैरेंट्स के साथ भी आते हैं जो पहले कभी देखने को नहीं मिलता था।  अब हर दिन करीब एक ऐसा केस सामने आ जाता है। इस बीमारी के जीवन पर बुरे असर और मानसिक अवसाद को देखते हुए लोगों के बीच जागरुकता का स्तर काफी कम है।  इस बीमारी का इलाज पेचीदा हो सकता है और इसमें सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है।  हालांकि, डॉक्टर्स पहले गैर-सर्जरी विकल्पों से ही इसका इलाज करने की कोशिश करते हैं।

आशीष कहते हैं, “तीन साल पहले मैंने पहली बार इन लक्षणों पर ध्यान दिया था, उसके बाद से स्थिति लगातार खराब होती चली गई, बेंड (तिरछापन) 60 डिग्री तक पहुंच गया था।  मैं उस वक्त बिल्कुल भी शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहता था क्योंकि यह मेरे लिए शर्मिंदगी की वजह बन सकती थी।  यह मेरी मानसिक स्थिति पर तो बुरा असर डाल ही रहा था लेकिन शारीरिक तौर पर भी मुझे काफी तकलीफ हो रही थी.” अधिकतर लोगों की तरह जोन्स को भी शक हुआ कि कहीं उनके प्राइवेट पार्ट में ग्रोथ कैंसर से संबंधित तो नहीं है।  उन्होंने एक सेक्सोलॉजिस्ट से संपर्क किया। पेनोरीज बीमारी के लक्षणों की पुष्टि करने में उन्हें तीन महीने लग गए।  एक वक्त आया जब आशीष की सारी उम्मीदें सर्जरी पर आकर टिक गईं लेकिन उन्होंने कुछ साइड इफेक्ट को देखते हुए सर्जरी का विकल्प नहीं चुना।  डॉक्टरों ने उन्हें शियापेक्स के बारे में बताया।  Xiapex ड्रग में पाया जाने वाला एक ऐसा एन्जाइम है जो अधिकतर प्लेक (स्कार टिश्यू या विकृत ऊतकों) को बनाने वाले कोलेजन को तोड़ सकता है।  इससे बेंड कम हो जाता है। हालांकि, ब्रिटेन या कुछ देशों के बाजार से जल्द ही शियापेक्स को हटाया जा सकता है यानी मरीजों के अलावा सर्जरी के सिवा कोई अन्य विकल्प नहीं रह जाएगा।

अब आशीष की शादी हो चुकी है और उन्हें डर है कि उनकी तरह के कई पुरुष दवा के अभाव में सामान्य जीवन नहीं जी सकेंगे।  वह कहते हैं, अगर मुझे Xiapex नहीं मिलती तो मैं पूरी तरह से टूट चुका होता। जोन्स की सेक्स लाइफ भी इस बीमारी की वजह से बुरी तरह से प्रभावित हुई है।  पेनोरीज बीमारी में बेंड के अलावा इरेक्टाइल डिसफंक्शन और परफॉर्मेंस एंग्जाइटी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। आशीष को वियाग्रा का इस्तेमाल भी करना पड़ता है।  यही नहीं, सेक्स कई बार दर्दनाक भी साबित होता है। वह कहते हैं, अगर मैं सिंगल या युवा होता तो इस कंडीशन में मैं शायद ही किसी से मिलने के बारे में सोचता।  मुझे नहीं पता तब मैं इससे कैसे निपटता, आपको ऐसा लगने लगता है जैसे कि आप मर्द ही ना रह गए हों। ये बहुत जरूरी है कि लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरुक किया जाए ताकि और भी लोग इसके बारे में पढ़ सके और इसे समझ सके।  भले ही यह आसान नहीं है लेकिन हर पीड़ित शख्स तक मदद पहुंचानी जरूरी है।