मुंबई। बीते माह अप्रैल में लॉकडाउन और कमजोर बिक्री के बाद अब दवाओं की बिक्री में सुधार दिखाई देने लगा है। हालांकि उद्योग के स्तर पर इन्वेंटरी में मामूली गिरावट दिख रही है लेकिन कुछ उपचार श्रेणियों की दवाओं की इन्वेंटरी में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
सूत्रों का कहना है कि स्त्री रोग, कैंसर के उपचार, आंखों के उपचार, विटामिन, टीका आदि चिकित्सा क्षेत्रों में मांग बढऩे के कारण दवाओं की बिक्री में तेजी आई है। बाजार अनुसंधान फर्म एआईओसीडी आवाक्स के आंकड़ों से पता चलता है कि 15 मई तक भारतीय औषधि बाजार (आईपीएम) में कुल इन्वेंटरी 39 दिनों की थी जबकि अप्रैल में इसी अवधि के दौरान इन्वेंटरी का स्तर 43 दिनों का था। भारतीय औषधि बाजार में मासिक आधार पर करीब 5 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि बाजार में कुछ चिकित्सा क्षेत्रों की दवाओं की इन्वेंटरी में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इससे पता चलता है कि इन दवाओं की बिक्री में तेजी से सुधार रहा है। उदाहरण के लिए, स्त्री रोग संबंधी दवाओं की इन्वेंटरी 58 दिनों से घटकर मई में अब तक 46 दिनों की रह गई है। इसी प्रकार, टीका श्रेणी में इन्वेंटरी घटकर 39 दिनों की रह गई है जो अप्रैल के मध्य में 62 दिनों के स्तर पर थी। इससे पता चलता है कि टीकाकरण अब शुरू हो गया है। टीका क्षेत्र की एक अग्रणी बहुराष्ट्रीय कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि धीरे-धीरे वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) खुल रहे हैं और कई बाल रोग विशेषज्ञों ने उन बच्चों के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया है जिन्हें निर्धारित समय पर टीका नहीं लगाया गया था। कुल मिलाकर उद्योग का मानना है कि मुख्य तौर पर दो कारणों से दवाओं की बिक्री में सुधार हुआ है और इन्वेंटरी स्तर में गिरावट आई है। पहला, दवाओं की आपूर्ति शृंखला कमोबेश स्थिर हो चुकी है और दूसरा, लॉकडाउन में ढील दिए जाने पर ओपीडी खुलने लगे हैं। प्रमुख औषधि कंपनी ग्लेनमार्क के प्रवक्ता ने कहा कि अप्रैल को लॉकडाउन का झटका लगा और उस दौरान आपूर्ति शृंखला भी प्रभावित हुई थी। अब मई में आपूर्ति शृंखला के स्थिर होने के साथ ही हम देख सकते हैं कि बाजार इन्वेंटरी में गिरावट आई है। यह वास्तव में एक अच्छा संकेत है। मार्च के अंत और अप्रैल के पहले पखवाड़े में आपूर्ति शृंखला को झटका लगा था जिससे बाजार में व्यवधान पैदा हुआ। चाहे संयंत्र से वितरकों तक दवाओं की आपूर्ति का सवाल हो अथवा वितरकों से खुदरा विक्रेताओं तक, लॉकडाउन के कारण पूरी आपूर्ति शृंखला ही प्रभावित हो गई थी। घबराहट में की गई मधुमेह और हृदयरोग जैसे गंभीर रोग की दवाओं की खरीदारी से बाजार में दवाओं की किल्लत जैसी स्थिति पैदा हो गई। अप्रैल में घबराहट में दवाओं की अधिक खरीदारी नहीं की गई और इस दौरान लॉजिस्टिक्स में भी स्थिरता आ गई। हालांकि कुछ कंपनियों ने कहा है कि सालाना आधार पर आंकड़े अभी भी अच्छे नहीं दिख रहे हैं। जेबी केमिकल्स के अध्यक्ष प्रणव मोदी ने कहा कि यदि हम पिछले साल के मई से तुलना करें तो बाजार में काफी गिरावट दिखेगी। आंतरिक सूत्रों ने दावा किया कि ऐतिहासिक तौर पर मई को एक कमजोर महीना होता है। बाजार में प्रमुख डरमैटोलॉजी ब्रांडों की बिक्री करने वाली एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह कोई बुखार का मौसम नहीं है और आमतौर पर एंटी-फंगल दवाओं (त्वचारोग श्रेणी में) की अधिक बिक्री होती है। हालांकि इस साल लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों में रह रहे हैं और इसलिए ऐसी बीमारियों से कम प्रभावित हुए हैं। इससे एंटी-फंगल दवाओं की बिक्री भी घटी है।