अलवर (राजस्थान)। कोरोना महामारी ने देश-दुनिया के साथ दवा बाजार पर भी गहरा असर डाला है। कोरोना संक्रमण काल में एंटीबायोटिक एवं दर्द निवारक दवाओं का बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पिछले दो माह में इन दवाओं की बिक्री घटकर करीब आधी रह गई। इसके साथ ही जिले में 200 से अधिक कम्पनियों के सेनेटाइजर बाजार में आ गए, जबकि कोरोना से पहले अलवर जिले में मुश्किल से पांच से सात कम्पनियों के सेनेटाइजर ही उपलब्ध थे। अब मेडिकल की दुकानों पर दवाओं से अधिक सेनेटाइजर दिखाई पड़ते हैं। असल में पिछले दो माह में दवाओं से अधिक सेनेटाइजर व मास्क की बिक्री हुई है। जबकि दूसरी और एंटीबायोटिक व दर्द निवारक दवाओं की खपत 40 से 50 प्रतिशत कम हो गई है। हालांकि डायबिटिज व बीपी की दवाओं की खपत में ज्यादा कमी नहीं आई है। पहले लॉकडाउन में तो बीपी व शुगर की दवाओं की बिक्री बढ़ गई थी। इसका कारण मरीजों का एक साथ अधिक संख्या में दवा लेना रहा। जिले में इन दिनों एक दिन में 2.5 से 3 लाख छोटे-बड़े सेनेटाइजर की बिक्री है। जिनकी अनुमानित कीमत कई करोड़ रुपए है। जबकि कोरोना से पहले पूरे जिले में करीब तीन हजार छोटे-बड़े सेनेटाइजर ही बिकते थे। यानि कोरोना वायरस संक्रमण का लोगों में इतना अधिक खौफ है कि सेनेटाइजर की बिक्री का आंकड़ा कई हजार गुना बढ़ गया। जिला स्तर पर 200 ब्रांड हैं जबकि बड़े शहरों में तो संख्या और भी अधिक है। इसी तरह मास्क की बिक्री भी बढ़ी है। हालांकि अब मास्क घरों में बनने लगे हैं। कोरोना के समय में एंटीबायोटिक व दर्द निवारक दवाओं की खपत 40 से 50 प्रतिशत कम हुई है। वरिष्ठ विशेषज्ञ मेडिसिन डॉ. जीएस सोलंकी का कहना है कि दरअसल, इस समयावधि में आमजन घरों में ही रहा है। बीमार होने पर भी अस्पतालों में दिखाने नहीं जा सके। इसके चलते दवाओं की खपत कम होना स्वाभाविक है।