नयी दिल्ली। कोविड-19 की महामारी के बीच एक राहत भरी खबर है और वह यह कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत समेत पूरी दुनिया में अब जल्द ही टीका आ सकता है। अमेरिकी फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर का दावा है कि वह अक्टूबर के अंत तक कोविड-19 का टीका बाजार में बिक्री के लिए उतार देगी। उधर, भारत में भी दवा कंपनी सन फार्मास्युटिकल्स को भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) की ओर से कोविड-19 की संभावित दवा नैफमोस्टेट मेसिलेट के क्लिनिकल ट्रॉयल की अनुमति मिल गयी है।
अमेरिकी फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अल्बर्ट बुर्ला ने टाइम्स ऑफ इजरायल को दिये एक साक्षात्कार में इस बात का दावा किया है कि वर्ष 2021 से पहले दुनिया में कोविड-19 के एक नहीं अनेक टीके आ सकते हैं, लेकिन यह इन चेतावनियों के साथ बेहद चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि इस महामारी को रोकने के लिए 15 अरब खुराक की जरूरत का अनुमान लगाया था। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए दुनियाभर में 100 से भी अधिक लेबोरेटरीज अपनी प्रयोगशालाओं में वैक्सीन तैयार करने में जुटी हुई हैं, जिसमें वे 10 लैब भी शामिल हैं, जिन्होंने इस पर क्लिनिकल ट्रॉयल भी कर लिया है।
फाइजर प्रमुख बुर्ला ने इस बात का दावा करते हुए कहा कि उनकी कंपनी मानती है कि साल के अंत से पहले वैक्सीन तैयार हो सकती है। फाइजर यूरोप और अमेरिका में फिलहाल कई संभावित टीकों पर जर्मन फर्म बायोटेक के साथ मिलकर क्लिनिकल ट्रॉयल कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा और किस्मत ने साथ दिया, तो हम अक्टूबर के अंत तक पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावकारी टीका ला सकेंगे। कंपनी को इस बात की भी उम्मीद है कि जून या जुलाई तक यह साफ हो जाएगा कि कौन सी वैक्सीन सबसे ज्यादा कारगर और सुरक्षित है। इसके लिए फाइजर डाटा इकट्ठा कर उसका विश्लेषण कर रही है।
इसके अलावा, ब्रिटेन की कंपनी एस्ट्रा जेनेका के प्रमुख पास्कल सोरियट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान इस साल के अंत तक वैक्सीन तैयार करने की बात कही है। उन्होंने कहा, ‘कई लोगों की उम्मीद है कि हम इस साल के अंत तक वैक्सीन तैयार कर लेंगे। एस्ट्रा जेनेका फिलहाल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर वैक्सीन बनाने पर काम कर रही है। उधर, भारत में भी दवा कंपनी सन फार्मास्युटिकल्स को डीसीजीआई की ओर से कोविड-19 की संभावित दवा नैफमोस्टेट मेसिलेट के क्लिनिकल ट्रॉयल की अनुमति मिल गयी है। अब कंपनी कोरोना वायरस के मरीजों पर इसका टेस्ट शुरू कर सकेगी। नैफमोस्टेट को जापान में नसों में खून के थक्के बनने (डीआईसी) और अग्नाशयशोथ के लक्षणों के इलाज में इस्तेमाल की अनुमति है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक दिलीप सांघवी ने एक बयान में कहा कि सन फार्मा लगातार कोविड-19 के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल करने लायक दवा की खोज कर रहा है। नैफमोस्टेट ने सार्स-कोव-2 वायरस के इलाज में बेहतरीन नतीजे दिये थे। इस पर यूरोप, जापान और दक्षिण कोरिया में वैज्ञानिकों के तीन स्वतंत्र समूहों ने अध्ययन किया था। कंपनी ने कहा कि महामारी के प्रकोप को देखते हुए नये इलाज विकल्पों की तत्काल जरूरत है. कंपनी जल्द से जल्द इसका ह्यूमैन टेस्ट करेगी। कंपनी ने नैफमोस्टेट के कच्चे माल और तैयार उत्पाद दोनों का भारत में उत्पादन शुरू कर दिया है। इसके लिए उसने अपनी जापानी अनुषंगी पोला फार्मा की तकनीक का इस्तेमाल किया है।