दवा कारोबारियों के अनुसार, दवा कारोबार से करीब 50 हजार लोग जुड़े हैं। इनमें 1000 होलसेल, जबकि 3500 फुटकर विक्रेता हैं। सप्तसागर से पूरे पूर्वांचल में दवाओं की आपूर्ति की जाती है। लेकिन लॉकडाउन के दौरान सिर्फ जरूरी दवाओं की आपूर्ति हुई। बाकी दवाएं नहीं बिकीं। जबकि दुकानों के कर्मचारियों को वेतन और अन्य खर्चे होते रहे। बीते दो माह में करीब 500 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है। अब बिक्री होने लगी है, लेकिन यह सामान्य दिनों की अपेक्षा कम है। मार्च में क्लोजिंग होती है, उस दौरान स्टॉक मेंटेन किया जाता था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया।
दवा कारोबारियों के अनुसार, लॉकडाउन में दवा कारोबारियों को दुकान खोलने की छूट तो थी, लेकिन क्लीनिक और निजी अस्पताल बंद थे। इस वजह से केवल जरूरी दवाओं जैसे बीपी, शुगर की दवाएं और मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजर की ही बिक्री हुई।
अरबों का नुक्सान झेलने के बाद फिर से पटरी पर लौट रहा है दवा कारोबार
वाराणसी। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से 500 करोड़ रुपये का दवा कारोबार प्रभावित हुआ। कारोबारियों के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान सिर्फ जरूरी दवाएं ही बिकीं। अब दुकानें खुलने से कारोबार पटरी पर लौटने लगा है, लेकिन दाएं-बाएं नियम के कारण दुकानें तीन दिन ही खुल पाती हैं। जब तक हॉस्पिटल, निजी नर्सिगिं होम सुचारु गति से नहीं चलेंगे, तब तक दवाओं की बिक्री अच्छी नहीं हो पाएगी।
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज खन्ना के अनुसार ‘कोरोना के चलते दवा कारोबार पर काफी असर पड़ा है। भले ही लॉकडाउन के दौरान दुकान खोलने की छूट दी गई थी, लेकिन ग्राहक ही नहीं थे। ऐसी स्थिति में दुकान का खुलना और बंद होना बराबर था। सरकार को दवा कारोबारियों की हालत के बारे में सोचना चाहिए।’
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के महामंत्री संदीप चतुर्वेदी ने कहा की ‘जो जितना बड़ा कारोबारी था, उसका उतना ज्यादा नुकसान हुआ। पूरे लाकडाउन में शुगर, बीपी और ताकत की दवा बिकीं। इनके अलावा मास्क और सैनिटाइजर आदि की बिक्री हुई। कारोबार पटरी पर लौट रहा है, लेकिन दाएं-बाएं के चक्कर में कोई फायदा नहीं हो रहा है।’
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष गजानन यादव का कहना था की ‘लॉकडाउन के दौरान कारोबारियों को कई तरह का संकट झेलना पड़ा है। शहर से लेकर देहात तक की दुकानदारी पर असर पड़ा। अब कारोबार धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है, लेकिन पुरानी स्थिति में आने में कम से कम साल भर लग जाएगा। कई लोगों की पूंजी फंसी है।’
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष सुमित सिंह ने कहा की ‘ सरकार को मेडिकल प्रोटोकॉल फॉलो कराते हुए क्लीनिक खोलने की इजाजत देनी चाहिए। जब तक यह नहीं खुलेंगे, तब तक कारोबार अपनी रफ्तार नहीं पकड़ पाएगा। जब ग्राहक नहीं थे तो रोज दुकानें खुलती थीं। अब बाएं-दाएं के चक्कर में तीन दिन खुल रही हैं।’
वही दवा कारोबारियों का कहना है कि ‘कोरोना के चलते पूंजी फंसी गई। बाजार से पैसा नहीं निकल रहा है। जिन लोगों ने चेक दिया था, उन्होंने बैंक में लगाने से मना कर दिया है। दुकान खुल रही है, लेकिन पहले की तरह ग्राहक नहीं हैं। बाजार खुलने से पहले से स्थिति ठीक हुई है। उम्मीद करते हैं कि स्थिति अब और बेहतर होगी।’