रोहतक (हरियाणा)। आज विश्वभर के देश कोरोना महामारी के प्रकोप में हैं। इससे भारत देश भी अछूता नहीं है। कोरोना यानि कोविड-19 के इलाज की अभी तक न कोई दवा इजाद हो पाई है और न ही कोई सौ फीसदी सुरक्षित तरीका फिलहाल सामने आ पाया है। इस गंभीर रोग से पीडि़त मरीजों को जीवनदान देने में जुटे विशेषज्ञ डॉक्टरों की भी देश में भारी कमी खल रही है। साथ ही, देश के अस्पतालों में वेंटिलेटर, बेड, और अन्य सुरक्षात्मक उपकरणों की कमी भी मुंह बाए खड़ी है। सरकार अपने स्तर पर इन कमियों को दूर करने में जी-जान से जुटी है। ऐसे में, टेलीमेडिसिन के लाभ की भी बात सामने आई है। इससे भविष्य में डॉक्टरों की कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा, ऐसी संभावनाएं नजर आने लगी हैं। बता दें कि सरकार और स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवर मिलकर डाक्टरों को गहन चिकित्सा केंद्र में इलाज की ट्रेनिंग देने और मोबाइल व वीडियो के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श (टेलीमेडिसिन) की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए विशेष रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। टेलीमेडिसिन पर फिक्की-नैटहेल्थ का कहना है कि आगामी तीन माह में 17 लाख कोरोना पीडि़तों को मोबाइल या वीडियो के जरिए चिकित्सकीय परामर्श की जरूरत पड़़ सकती है। बताया गया है कि करीब बीस प्रतिशत डाक्टर टेलीमेडिसिन माध्यम का सहारा लेंगे तो इससे 2.5 करोड़ घंटे की चिकित्सकीय सलाह मुहैया की जा सकेगी।