बाराबंकी (उप्र)। सरकार की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के दावे पर सवालिया निशान लगाता एक मामला प्रकाश में आया है। सीएचसी मथुरानगर से प्रसूता को जिला महिला अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस के इंतजार में महिला की जान चली गई। जानकारी अनुसार रामसनेहीघाट तहसील के सुरजवापुर के देशराज ने बताया कि उसकी पत्नी पूजा शर्मा (24) को प्रसव पीड़ा होने पर एंबुलेंस से सीएचसी मथुरानगर ले गए थे। वहां पर पूजा ने बेटे को जन्म दिया। थोड़ी देर बाद पत्नी की हालत बिगड़ी तो स्टाफ नर्स ने उसे जिला महिला अस्पताल ले जाने के लिए कहा। उन्होंने पहले सीएचसी लाने वाली बनीकोडऱ ब्लॉक की एंबुलेंस के सीयूजी नंबर पर कॉल किया पर उसने आने से मना कर दिया। इसके बाद टॉल फ्री 102 और 108 पर कॉल की। काफी देर बाद कॉल रिसीव हुई तो 15 मिनट में एंबुलेंस आने का जवाब मिला। लेकिन एंबुलेंस करीब 45 मिनट बाद आई। चालक ने ऑक्सिजन किट नहीं होने की बात बताई। इसके बाद दूसरी एंबुलेंस को बुलाने का प्रयास किया। इस बीच पत्नी पूजा ने दम तोड़ दिया। एंबुलेंस नहीं मिलने से वे पूजा के शव को ठेले से घर ले गए। उधर, सीएचसी अधीक्षक डॉ. संजय पांडेय ने बताया कि घर पर दाई ने पूजा का प्रसव करवाने की कोशिश की। इससे बच्चा आधा बाहर था। जान बचाने के लिए स्टाफ नर्स ने प्रसव करवाया। पूजा का हीमोग्लोबीन महज पांच ही था। हालत बिगडऩे पर पूजा को जिला महिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई। एंबुलेंस के लेट आने से पूजा ने दम तोड़ दिया। इस बीच एंबुलेंस सेवा 108 और 102 के जिला प्रभारी मुकेश सिंह ने कहा कि कॉल आने के 28 मिनट बाद टिकैतनगर सीएचसी की एंबुलेंस भेजी गई थी। रास्ते में पुलिया टूटी होने से लेट हुआ। हालांकि, खून की कमी से प्रसूता की मौत हुई है।