जयपुर। 125 से ज्यादा दवाएं अमानक, सैंपल लेने के 2-2 साल बाद आई रिपाेर्ट,सिस्टम इतना संक्रमित; दोषियों पर कार्रवाई तो दूर ये तक नहीं पता- इसका जिम्मेदार कौन? बता दें कि प्रदेश में कई दवाएं ऐसी यूज़ की जा रहीं है जिनका असर रोगियों पर नहीं हो रहा है…अंदेशा है कि पिछले छह महीने में ही शुगर, हार्ट, ब्लड प्रेशर, न्यूरो से जुड़ी करीब 50 लाख से ज्यादा घटिया टैबलेट मरीज खा भी चुके हैं। ये दवाएं मानकों पर बिल्कुल खरी नहीं उतरीं। इनमें पर्याप्त मात्रा में साल्ट ही नहीं मिला। इसका नतीजा ये होता था कि मरीज को दवा फायदा ही नहीं करती थी।
ड्रग विभाग की जांच में गत छह माह में करीब 125 दवाएं अमानक पाई गई हैं। यदि ब्लड प्रेशर का पेशेंट है तो ऐसी दवा से प्रेशर कम नहीं होगा। सीवियर हार्ट पेशेंट हो तो ब्रेन हैमरेज हो सकता है। आंखों की रोशनी जा सकती है या किडनी फेल या हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। हार्ट फेलियर की अमानक दवा से खतरा बढ़ेगा। हार्ट गति नियंत्रित नहीं होगी। मृत्यु संभव है। इसके अलावा यदि एंटीबायटिक ही असरदार नहीं है तो इंफेक्शन बढ़ता चला जाएगा। आउटडेटेड दवा से साइड इफेक्ट हो सकते हैं। जैसे कि गैस्ट्रिक, किडनी इंफेक्शन और व्यक्ति के अंगों के खराब होने के अलावा मौत का भी खतरा है।
एक्सपर्ट पैनल: कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एसएम शर्मा और डॉ. अशोक गर्ग, गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. बलराम शर्मा, न्यूरोसर्जन डॉ. कमल गोयल और फिजिशियन डॉ. रमन शर्मा, ईएनटी सर्जन डॉ. सतीश जैन। अमानक दवा के हर मामले में अलग-अलग सजा है। एक लाख से तीन लाख रुपए की सजा के अलावा अधिकतम दस साल तक की सजा का प्रावधान है। हालांकि, आज तक किसी को भी इतनी सजा नहीं मिली है।
सिस्टम के संक्रमण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दोषियों पर कार्रवाई करना तो दूर की बात है, अभी तक ये भी नहीं पता कि ऐसी दवाएं कितने वर्षों से बाजार में बिक रही हैं और इनके लिए जिम्मेदार कौन हैं। भास्कर पड़ताल के मुताबिक इनमें कई दवाएं ऐसी हैं, जो साल 2017 में बनीं, फिर बाजार में बिकनी भी शुरू हो गईं…और दो साल बाद रैंडम सैंपलिंग के दौरान पता चला कि ये दवाएं अमानक हैं। ऐसे में जिन मरीजों ने ये दवाएं लीं, उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ हुआ। तमाम तरह की शारीरिक और मानसिक तकलीफें उठानी पड़ीं, सो अलग।