सोलन। देश में कोरोना को मात देने के लिए वैक्सीन तो आ है। उसके बाबजूद भी एंटी कोविड वैक्सीन और सीरम बन रहे है। तो वहीं इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के कसौली में अब कोरोना की दवा बनेगी। केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (सीआरआइ) कसौली कोविड एंटी सीरम बनाने पर अनुसंधान कर रहा है। तीन ट्रायल बैच तैयार हो गए हैं। इन्हें वायरस की न्यूट्रलाइजेशन के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआइवी) पुणे भेजा जाएगा। इससे पता चलेगा कि यह दवा वायरस को निष्क्रिय करने में कितनी कारगर है। पुणे में वायरस के साथ ट्रायल बैच की टेस्टिंग होगी।

वहां पर इसके सफल होने के बाद बैच पर प्री-क्लीनिकल एनिमल टेस्टिंग जिसे टॉक्सीक्लोजिकल स्टडीज भी कहते हैं, की प्रक्रिया होगी। इसमें जानवरों पर हाई डोज देकर टेस्टिंग की जाएगी। दरअसल दोनों की सफलता के बाद सीआरआइ ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) को अप्रोच करेगा। उसके बाद क्लीनिकल ट्रायल के लिए बैच आइसीएमआर को दिया जाएगा। यह प्रोडक्ट आइसीएमआर के लिए बनाया जा रहा है। इसलिए इसे आइसीएमआर-सीआरआइ कोविड एंटी सीरम नाम दिया गया है। क्लीनिकल ट्रायल के पास होने के बाद संस्थान की प्रोडक्शन में एक और नया उत्पाद शामिल हो जाएगा। सीआरआइ कसौली को कई तरह की एंटी सीरम बनाने के लिए जाना जाता है।

संस्थान एंटी रैबीज सीरम, एंटी स्नेक वेनम सीरम व डिप्थीरिया एंटी टॉक्सिन सीरम तैयार करता है। कोविड एंटी सीरम कोरोना के उन रोगियों को लगेगा जो अस्पताल में गंभीर अवस्था में भर्ती होंगे। यह कोरोना वैक्सीन की तरह हर किसी को नहीं दिया जाएगा। कोविड एंटी सीरम बनाने के लिए सीआरआइ व इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआइवी) पुणे के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) हुआ है।