उदयपुर। उदयपुर में अब एक भी नि:शुल्क दवा केन्द्र बिना किसी फार्मासिस्ट के नहीं चल सकेगा। प्रदेश में मुख्यमंत्री दवा योजना के तहत चल रहे नि:शुल्क दवा केन्द्रों पर यदि फार्मासिस्ट नहीं हो तो वहां पर संविदा आधार पर लिया जा सकेगा, साथ ही इन संविदा फार्मासिस्ट की सेवाएं उन्हीं दवा वितरण केन्द्रों पर ली जा सकेगी, जिनका निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद हेंड ओवर टेक ओवर हो चुका है।

सूची सीएमएचओ कार्यालय पास रहेगी: जनस्वास्थ्य निदेशक ने गत २५ मार्च को यह आदेश जारी किया है, इसमें उल्लेख है कि चिकित्सा संस्थावार संविदा फार्मासिस्ट की सेवाएं लिए जाने की सूची सीएमएचओ कार्यालय के पास रहेगी।

एसे हो सकेगा काम: – इनकी सेवाएं वित्त (जीएण्डटी) विभाग के अनुसार ली जा सकेगी। – इस पर होने वाला व्यय वित्तीय वर्ष में प्रावधित राशि तक सीमित रखा जाए। – फार्मासिस्ट की संविदा सेवाएं नियमित पदों से भरे जाने या 31 मार्च जो भी पहले हो तक सीमित रहेगी। – इन संविदा फार्मासिस्ट का मासिक पारिश्रमिक पूर्व स्वीकृति (450 नवीन दवा वितरण केन्द्रों के निर्माण के लिए जारी स्वीकृति के आधार पर) अधिकतम पारिश्रमिक की सीमा ८ हजार रहेगी। – ये राशि मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के अन्तर्गत निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के मद से होगा।

संवेदक की ओर नियोजित श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान अनिवार्य रूप से उनके बैंक खातों में ही किया जाएगा। यदि कोई विवाद होता है जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदार या संस्था की होगी जो संविदा पर उपलब्ध करवाता है। – पीपीपी मोड के जो चिकित्सा संस्थान हैं, उन पर विभाग के संविदा फार्मासिस्ट की सेवाएं नहीं ली जा सकेगी। एेसे मामले वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आते हैं। जिन चिकित्सा संस्थानों की पीपीपी मोड अवधि 30 अप्रेल को समाप्त हो रही है, वहां संविदा फार्मासिस्ट की सेवाएं पीपीपी मोड पूरा होने के बाद सेवाएं ली जा सकेगी।