मेरठ। कोरोना संक्रमण काल में पेरासिटामोल और डाइक्लोफेनेक दवा की डिमांड कई सौ गुना बढ़ी तो नकली दवा के सप्लायरों ने मुंबई और देश के अन्य हिस्सों में करोड़ों की नकली पेरासिटामोल और डाइक्लोफेनेक दवा खपा दी। ये नकली दवा मेरठ के खरखौदा में धीरखेड़ा ओद्यौगिक क्षेत्र में बन रही थी। इसका पता मेरठ पुलिस को तब चला जब मुंबई पुलिस ने इस नकली दवा फैक्ट्री पर छापा मारा। धीरखेड़ा में चल रही छोटी-सी नकली दवा फैक्ट्री ने करोड़ों रुपये की नकली दवा पूरे देश में खपा दी।

बताया जा रहा है कि दवा फैक्ट्री में बनने वाली दवाएं देश के कई हिस्सों में सप्लाई की जा चुकी हैं। आपदा में अवसर खोजकर कई दवा सौदागरों ने ‘नकली दवाओं’ को देश के कई हिस्सों में पहुंचा दिया है। मुंबई पुलिस की कार्रवाई के बाद अब औषधि विभाग भी जाग गया। औषधि विभाग के आयुक्त विरेन्द्र कुमार के नेतृत्व में हापुड़, गाजियाबाद, मेरठ, नोएडा के अधिकारियों को लेकर कई जनपदों में छापेमारी की गई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार नकली दवाओं के इस कारोबार से काफी लोग जुड़े हैं। मुंबई पुलिस इंस्पेक्टर का कहना है कि इस कारोबार में देश के बड़े सौदागरों के संबंध माने जा रहे हैं। जांच में ऐसे कई सुराग मिले हैं, जिनसे साबित होता है कि नकली दवाओं को देश के कई हिस्सों में भेजा जा रहा था।

मुंबई पुलिस इंस्पेक्टर अप्पा साहिब सम्पत राय सिरसाठ का कहना है कि जांच में सामने आया है कि नकली दवा बनाकर देश में सप्लाई करने वाला गिरोह सक्रिय है। जल्द ही सुदीप मुखर्जी को रिमांड पर लेकर जांच की जाएगी और गिरोह के अन्य सदस्यों तक पहुंचा जाएगा। राय ने बताया कि कुछ दिन पहले गाजियाबाद के वसुंधरा निवासी सुदीप मुखर्जी पुत्र सुरेश मुखर्जी को को मुंबई से नकली दवा के साथ पकड़ा गया था। उसने पूछताछ में बताया था कि उसने दवा थाना खरखौदा क्षेत्र के धीरखेडड़ा औद्योगिक क्षेत्र स्थित एबीएम लैब प्राइवेट लिमिटेड से खरीदी हैं, जिसके बाद इस कंपनी पर छापा मारा गया है।

बता दें कि जिले में नकली दवाओं का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी मेरठ के परतापुर स्थित एक दवा फैक्ट्री से नकली दवाएं और स्टेरॉयड पंजाब में सप्लाई होने का मामला सामने आया था। वहीं गत अप्रैल में खरखौदा पुलिस ने लोहियानगर से करोड़ों की एक्सपायरी दवाओं का जखीरा पकड़ा था।