नई दिल्ली। ट्रामाडोल की 42 हजार गोलियों के साथ गिरफ्तार किए गए आरोपितों से उत्तरी जिला पुलिस पूछताछ कर इससे जुड़े अन्य आरोपितों का पता लगा रही हैं। वहीं दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश स्थित दवा बनाने वाली कंपनी की भूमिका अभी तक की जांच में संदिग्ध पाई गई है। फिलहाल पुलिस कंपनी के दस्तावेजों आदि की जांच कर रही है। गौरतलब है कि सोमवार को उत्तरी जिले की कश्मीरी गेट थाना पुलिस ने नियमित जांच के दौरान कैब में सवार बठिंडा निवासी सेवक सिंह, विनोद बावा और बहोद सिंह के पास से 42 हजार दर्दनिवारक ट्रामाडोल की गोलियां बरामद की थी। तीनों आरोपितों ने नावेद, गौरव कालरा और नरेंद्र से यह दवा खरीदी थी।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले में गिरफ्तार किए गए छह आरोपितों में से तीन बठिंडा निवासी सेवक सिंह, विनोद बावा और बहोद सिंह तस्कर हैं। बाकी तीन आरोपित नावेद, गौरव कालरा और नरेंद्र कुमार मिश्रा दवा की आपूर्ति तस्करों को करते थे। इनमें नरेंद्र दवाइयों का स्टाकिस्ट है। और हिमाचल प्रदेश के कालाअंब स्थित ट्रामाडोल बनाने वाली कंपनी से जुड़ा हुआ है। पूछताछ में आरोपितों ने बठिंडा निवासी आरोपितों ने बताया कि यह दवा पंजाब में नशे के तौर पर कई गुना दाम में बेचनी थी।

तीनों आरोपित एक साल से इस दवा की तस्करी कर रहे थे। चूंकि इस दवा के मुख्य घटकों में अफीम की मात्रा अधिक है। ऐसे में केंद्र सरकार ने इस दवा के उत्पादन व बेचने को लेकर कई कड़े नियम बनाए गए हैं। फिलहाल उत्तरी जिला पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि तस्करों से बरामद दवा कालाअंब स्थित कंपनी से ही बनाए गए है। जांच में यह भी पता चला है कि कंपनी के पास ट्रामाडोल बनाने का लाइसेंस व अन्य जरूरी दस्तावेज नहीं है। इस मामले में कालाअंब थाना पुलिस भी जांच कर रही है।