नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक डाक्टर द्वारा दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र और आयुष मंत्रालय को उस दवा का परीक्षण कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, जिसके बारे में उनका दावा है कि इसे कोरोना के इलाज के लिए विकसित किया गया है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिका में जिन निर्देशों को दिए जाने का अनुरोध किया गया है, वे सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में नीति से संबंधित हैं। पीठ में न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी और एसआर भट भी शामिल हैं।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, अदालत आयुर्वेद-आधारित इलाज की प्रभावकारिता के संबंध में याचिकाकर्ता के दावे का आकलन करने की स्थिति में नहीं है, जिसे वह कोरोना के उपचार के लिए विकसित करने का दावा करते हैं। इसलिए हम याचिका पर विचार करने से इन्कार करते हैं। याचिका खारिज की जाती है।
गाजियाबाद के एक अस्पताल में सलाहकार (पैथोलाजी) के रूप में काम कर रहे एक चिकित्सक द्वारा दाखिल याचिका में दावा किया गया था कि पिछले साल जुलाई में वह कोरोना वायरस के दुष्प्रभावों को पूरी तरह से ठीक करने के लिए एक असरदार दवा तैयार करने में सफल रहे। अधिवक्ता शलभ गुप्ता द्वारा दाखिल याचिका में दावा किया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा तैयार की गई दवा उनके द्वारा देखे गए सभी मामलों में प्रभावी रही है और यह उपचार बहुत सस्ता है।