पीलीभीत। एक तरफ कोरोना की मार पूरा देश झेल रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ दवाओ के बढ़ते दामों ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। गौरतलब है कि देश भर में दवा ही नहीं बल्कि दवा के साथ साथ और भी जरुरी चीजों के दाम बढ़ते ही जा रहे है। कच्चे माल की कमी और पेट्रोल-डीजल के दामों में हुई वृद्धि का असर दवाओं पर भी पड़ने लगा है। कोलेस्ट्रॉल, दिल, सांस, गर्भावस्था से जुड़ी दवाएं और एंटीबायोटिक की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। एलोपैथ के साथ आयुर्वेदिक दवाओं के दामों में तेजी के साथ वृद्धि हो रही है। बीते चार माह के दौरान दवा की कीमतों में पांच से 20 फीसदी तक वृद्धि हुई है। इसके अलावा कई अन्य जीवन रक्षक दवाएं ऐसी भी है, जिसे मरीजों को लंबे समय तक खाना पड़ता है। उनके दाम बढ़ने से वह काफी निराश है।

जिलाध्यक्ष केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट मेडिकल एसोसिएशन- राघवेंद्र नाथ मिश्रा ने बताया कि दवाओं के दामों में वृद्धि हो रही है। इसका कहीं न कहीं फर्क इसलिए पड़ रहा है कि कच्चे माल और पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से मालभाड़ा भी बढ़ा दिया गया है। हर दवा पर 10 से 20 फीसदी रेट की वृद्धि हुई है। तो वहीँ मेडिकल संचालक- दीपक शर्मा ने बताया कि कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं के दाम नहीं बढ़े थे। मगर तेल के दामों में हुई बढ़ोतरी के चलते आयुर्वेदिक दवाओं के दाम तेजी से बढ़ना शुरू हो गए हैं। सिरप वटी और अन्य दवाओं के चूर्ण भी महंगे हुए है। जिसका असर दुकानदार और मरीजों पर पड़ रहा है।

कच्चे माल की कमी और पेट्रोल-डीजल के दामों की वृद्धि होने के बाद एलोपैथिक हीं नहीं बल्कि आयुर्वेदिक दवाओं के दामों में भी करीब 15 फीसदी तक रेट बढ़े हैं। आयुर्वेदिक मेडिकल संचालकों की मानें तो तीन माह पहले जो ली-52 टेबलेट 140 रुपये की आती थी अब उसके रेट 155 रुपये हो गए हैं। इसी तरह अशौहनी वटी की डिब्बी पहले 150 रुपये की थी अब 171 रुपये में बिक रही है। इसके अलावा तुलसी वटी, श्वासारि प्रवाही, आंवला रस, हनी समेत कई दवाओं में 10 से 15 फीसदी तक रेट बढ़े हैं।

आपको ये भी बता देते हैं कि किन दवाओं के दाम बढ़े है।

हल्के बुखार की दवा सिनारिस्ट सिरप का दाम 80 से बढ़कर 89 रुपये
दिल की दवा मेटाकार्ड एक्सएल का एक पत्ता 60 रुपये से बढ़कर 65 रुपये
ब्लड प्रेशर की ही मेटागार्ड सीआर 60 का दाम 167 से अब 175 रुपये
कोलेस्ट्रॉल की गोली रोजावेल 20 की कीमत 303 से बढ़कर 330 रुपये
गरारा करने वाली दवा बीटाडीन 210 के स्थान पर 230 रुपये
यूरिक एसिड की दवा फेबुस्टैट 40 का एक पत्ता 184 रुपये की जगह 202 रुपयेे
सांस की दवा एबी फ्लो कैप्सूल का एक पत्ता 112 की जगह 124 रुपये
एंबी फाइलीन 100 एमजी का एक पत्ता 123 रुपये की जगह 135 रुपये
शुगर के मरीजों को दी जाने वाली ग्लिमिप्रेक्स एमएफ-1, 500 एमजी एक पत्ता 55 से बढ़कर 60 रुपये हो गया है।

अधिकांश दवाओं की कीमतों में बीते कुछ माह के दौरान ज्यादा इजाफा हुआ है। दवाओं की बार-बार बढ़ रही कीमतों से आम लोगों के साथ संबंधित कारोबारी भी परेशान है। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट मेडिकल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष राघवेंद्र नाथ मिश्रा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद कई देशों में दवा के कारण उसके उत्पादन पर सीधा असर हो रहा है। कच्चे माल के दामों में वृद्धि और कमी की वजह से दवा की कीमतों में पांच से 20 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। इसमें शुगर एवं बीपी के मरीजों के इस्तेमाल में आने वाली दवा की कीमत में पांच से 10 फीसदी और मल्टी विटमिन एवं एंटीबायोटिक्स में 20 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। इसके अलावा पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने का असर भी फार्मा इंडस्ट्री में पड़ा है। ट्रांसपोर्टरों द्वारा किराया बढ़ा दिए जाने की वजह से भी बहुत सी कंपनियों ने दवाओं के दाम बढ़ा दिए हैं। ऐसे में मरीजों को संकट काल में परेशानी उठानी पड़ रही है।