Antibiotic Medicine: आज के दौर में बुखार आते ही तुरंत ही एंटीबॉयोटिक खा लेते हैं खांसी की समस्या हुई तो एंटीबॉयोटिक। छोटी से छोटी तकलीफ होने पर झट से एंटीबॉयोटिक का सेवन कर लेते हैं। इस तरह से अंधाधुन एंटीबॉयोटिक (Antibiotic Medicine) का सेवन करने से पूरी दुनिया में परेशानी बढ़ती जा रही है। इतनी मात्रा में इन मेडिसिन का इस तरह से उपयोग हो रहा है कि अब दवा ने शरीर पर असर करना ही बंद कर दिया है।

एंटीबॉयोटिक्स (Antibiotic Medicine)  से कुछ सालों में आयेगी तबाही 

डेनमार्क में यूरोपियन कांग्रेस ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज की हाल ही में एक ऑनलाइन मीटिंग हुई थी। मीटिंग के दौरान दुनिया में एंटीबॉयोटिक के इस तरह धड़ल्ले से हो रहे यूज पर चिंता व्यक्त की गई। न्यूयॉर्क हॉस्पिटल के डॉ आरोन ग्लैट ने कहा कि एंटीबायोटिक का जिस तरह से इस्तेमाल हो रहा है। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस आने वाले सालों मेें बड़ी चिंताओं में से एक है। अगर वक्त रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले सालों में एंटीबॉयोटिक के इस्तेमाल से बड़ी तबाही देखने को मिलेगी।

WHO ने जारी की वार्निंग 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एंटीबॉयोटिक्स दवा के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई है। WHO का कहना है कि पूरी दुनिया के कोने-कोने में एंटीबॉयोटिक का सबसे अधिक इस्तेमाल हो रहा है। दवाओं के अधिक मात्रा में इस्तेमाल होने से दवा ने अब असर करना ही बंद कर दिया है।  देश और दुनिया में दवाओं के प्रति रेसिस्टेंस लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत में कम से कम सात लाख लोग इस समस्या से परेशान हैं। बता दें कि दवाओं से रेसिस्टेंस होने से अर्थ होता कि जिन बैक्टीरिया और फंगस को मारने के लिए दवा तैयार की जाती है। इन दवाओं के अधिक सेवन से बैक्टीरिया उन दवाओं के अभ्यस्त हो जाते हैं। उनकी मौत नहीं हो पाती है।

 

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