Mobile Clinic: भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सरकार काफी ध्यान दे रही है। दूर दराज वाले क्षेत्रों तक स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को पहुंचाने के लिए मोबाइल क्लीनिक (Mobile Clinic) की व्यवस्था की गई है। भारत में अपनाई गई मोबाइल क्लीनिक पहल पूरी दुनिया को नई राह दिखायेगी। यूनिसेफ के एक शीर्ष अधिकारी ने भारत की मोबाइल क्लीनिक की पहल की सराहना की है।

बच्चों के नियमित टीकाकरण समेत विभिन्न स्वास्थ्य अभियानों में मोबाइल स्वास्थ्य पहल (Mobile Clinic) को अपनाया

यूनिसेफ-न्यूयॉर्क में वरिष्ठ स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. लक्ष्मी नरसिम्हन बालाजी ने कहा कि मोबाइल क्लीनिकों पर देश से सीखे गए सबक को परिवहन बाधाएं कम करने के लिए उग्रवाद-प्रभावित क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है। सोमवार से शुरू हुई इस तीन दिवसीय बैठक में विभिन्न देशों के 180 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इस बैठक में यूनिसेफ वरिष्ठ स्वास्थ्य सलाहकार डॉ लक्ष्मी नरसिम्हन बालाजी ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि  भारत ने बच्चों के नियमित टीकाकरण समेत विभिन्न स्वास्थ्य अभियानों में मोबाइल स्वास्थ्य पहल को अपनाया है। मोबाइल हेल्थ की प्रक्रिया में स्वास्थ्य सेवाओं को लोगों के घर तक पहुंचाया जाता है। इनमें टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और कुछ आवश्यक दवाओं की आपूर्ति तक शामिल हैं।

मोबाइल स्वास्थ्य क्लीनिक ने कई समुदायों में परिवहन बाधाओं को कम किया

बालाजी ने कहा कि महामारी के दौरान, टीकाकरण, ऑनलाइन परामर्श, कोविड-19 टीकाकरण, परीक्षण और कोविड अनुकूल आचरण (सीएबी) के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए सचल (मोबाइल) सेवाओं को तैनात किया गया था। ये मोबाइल क्लीनिक उन क्षेत्रों में पारंपरिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक थे जहां भौगोलिक, जलवायु या अक्सर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच कम है।

उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान आनलाइन कंसल्टेशन, कोविड टीकाकरण और जांच आदि के लिए कई डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को अपनाया गया। महामारी की चुनौतियों के बीच दूरदराज के क्षेत्रों तक कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में डिजिटल स्वास्थ्य व्यवस्था ने अहम भूमिका निभाई।

भारत ने कोविन पोर्टल के माध्यम से सुनिश्चित किया कि सभी नागरिकों को टीका लगे। आपदा के दौरान भी मोबाइल व्यवस्था के माध्यम से लोगों का इलाज संभव है। बालाजी ने कहा कि परिवहन बाधाएं कम करने के लिए मोबाइल क्लीनिक विकल्पों पर भारत से सीखे गए सबक को अफगानिस्तान जैसे उग्रवाद-प्रभावित क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है, जहां एक ‘मॉडिफाइड’ (परिवर्तित) स्कूटर या ऑटो रिक्शा (जिसे जरंज कहा जाता है) एक आपातकालीन एम्बुलेंस के रूप में कार्य कर सकता है, जो गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए निकटतम अस्पताल ले जा सकता है।

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