Genetic test: ऐसी बहुत सी बीमारियां होती है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होने का खतरा रहता है। जैसे कि किसी के दादा या पिता को डायबिटीज, कैंंसर, थैलेसीमिया, एनीमिया जैसी बीमारियां है ये उनके बच्चे में भी होने का खतरा बना रहता है। बच्चे के पैदा होने से पहले ही ये डिजीज पैरेंट्स के जींस से बच्चों में चली जाती है। किसी कपल को नहीं पता होता है उनके होने वाले बच्चे को ये बीमारी हो सकती है। लेकिन जेनेटिक टेस्ट (Genetic test) के जरिए बच्चे के पैदा होने से पहले ही उसकी बीमारियों के बारें में पता किया जा सकता है।

जेनेटिक टेस्ट (Genetic test) की मदद से भविष्य में बच्चों की बीमारियों का खुलासा 

जेनेटिक टेस्ट की मदद से भविष्य में बच्चो में होने वाली बीमारियों का खुलासा हो जाता है। डाउन सिंड्रोम, पॉकिंसंस डिजीज, टाइप- 2 डायबिटीज और एनीमिया, थैलेसीमिया और कैंसर जैसी कई बीमारियां हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हो जाती है। जींस में बदलाव के कारण बच्चा गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है। जेनेटिक टेस्ट की सहायता से यदि किसी कपल को कोई बीमारी है तो इससे पता चल जाता है कि उनके बच्चे को ये डिजीज होगी या नहीं।

दिल्ली के सफरदगंज हॉस्पिटल के डॉ दीपक सुमन ने बताया कि जेनेटिक टेस्टिंग से कैंसर की बीमारी तक का पता चल सकता है। इससे ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का आसानी से पता लगाया जा सकता है। इससे पता चल जाता है कि बच्चे को कैंसर होने का खतरा है या नहीं। यदि बच्चे को कैंसर होने का खतरा है तो जन्म के तुरंत बाद ही बच्चे का इलाज करके उसे गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है।

कैसे होता है जेनेटिक टेस्ट 

जेनेटिक टेस्ट मुंह से, ब्लड से महिलाओं के यूट्रस से लिए जाते हैं। इस टेस्ट को करवाने में 1 हजार रुपए से 10 हजार रुपए तक का खर्चा आता है। बड़े शहरों की लैब्स में इस टेस्ट को किया जाता है।

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