1 दिसंबर यानि की आज दुनिया भर में एड्स जागरुकता के लिए वर्ल्ड एड्स डे (World Aids Day) मनाया जाता है। एड्स जैसी लाइलाज बीमारी से बचाव और जागरुकता के लिए समाज में फैले तमाम मिथक को दूर करने के लिए हर साल इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है।
एड्स की बीमारी HIV की वजह से होती है। ऐसे में लोग HIV Postive और AIDS को एक ही मान लेते हैं। लेकिन ये दोनों एक बीमारी नहीं है। ये जरुरी नहीं है कि हर HIV Postive इंसान को AIDS की बीमारी हो ही।
जानते हैं HIV Postive और AIDS में अंतर
एचआईवी का फुल फॉर्म ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस होता है। ये वायरस शरीर के भीतर जाकर इम्यून सिस्टम में सफेद रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है और शरीर की इम्युनिटी को इतना कमजोर बना देता है कि शरीर मामूली चोट या बीमारियों से भी आसानी से उबर नहीं पाता है। वहीं AIDS एक मेडिकल कंडीशन है जो HIV के कारण होती है। हर एचआईवी पॉजिटिव को एड्स भी हो ये जरूरी नहीं होता, लेकिन एड्स सिर्फ एचआईवी पॉजिटिव को ही होता है।
यदि एक बार कोई व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित हो जाये तो वो कभी इससे ठीक नहीं हो सकता है। हां दवाओं के जरिए इसे खतरनाक स्थिति में जाने से रोका जा सकता है। सही वक्त पर एचआईवी को इलाज ना मिले तो ये एड्स का रुप धारण कर लेता है। लेकिन यदि एचआईवी को सही वक्त पर इलाज मिले तो ये एड्स का रुप धारण नहीं करता है।
ये भी पढ़ें- भारी मात्रा में नशीली कफ सिरप के साथ दो गिरफ्तार
HIV संक्रमण के क्या होते हैं लक्षण
इस बीमारी की चपेट में आने पर दो से चार हफ्ते के भीतर व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द, दाने या गले में खराश सहित इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण महसूस होते हैं। ऐसे में तेजी से वजन कम होना, बुखार, दस्त, खांसी, लिम्फ नोड्स में सूजन, कुछ तरह के कैंसर विकसित होना आदि तमाम लक्षण सामने आ सकते हैं।
शरीर में एचआईवी संक्रमण के प्रसार की कई वजह हो सकती है जैसे असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित व्यक्ति के या गर्भावस्था खून के जरिए, इसके अलावा प्रसव के दौरान संक्रमित मां से बच्चे तक एचआईवी फैल सकता है।
कैसे बचें इस रोग से
ऐसे तो इस बीमारी का कोई बचाव नहीं है। हां एचआईवी का सही वक्त पर इलाज करने से एड्स होने से बचा जा सकता है। एचआईवी की दवाओं को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) कहा जाता है। इस बीमारी से बचाव के लिए शारीरिक संबंध बनाते सावधानी बरतें। साफ और नई सुई को प्रयोग करें। यदि बीमारी के लक्षण नजर आएं तो विशेषज्ञ की सलाह से एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी का इस्तेमाल करें।