चंडीगढ़। क्लीनिक ने मरीज के इलाज में खर्च हुए पैसों का बिल नहीं दिया। इस पर आयोग ने पांच हजार का जुर्माना लगा दिया है। साथ ही केस खर्च के तौर पर अतिरिक्त पांच हजार रुपये क्लिनिक को अदा करने के आदेश दिए गए हैं। आयोग ने इस केस में आरोपी बनाई गई दोनों इंश्योरेंस कंपनियों की ओर से दायर जवाब के बाद उनके खिलाफ शिकायत कैंसिल कर दी है। आरोपी क्लीनिक गुजरात के अहमदाबाद में अंश क्लिनिक के नाम से है।
यह है मामला
एसएएस नगर कुराली निवासी देवेन्द्र ठक्कर ने अहमदाबाद स्थित अंश क्लिनिक और चंडीगढ़ स्थित दो इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में याचिका दायर की थी। शिकायत में बताया गया कि उसके पिता ने इंश्योरेंस कंपनी से 6 अप्रैल 2013 स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ली थी। शिकायतकर्ता अपने पिता यानी बीमाधारक का नॉमिनी भी था। बीमारी के चलते वह पिता को इलाज के लिए अहमदाबाद स्थित अंश क्लिनिक लेकर गया था।
अस्पताल में हो गई मौत
अंश क्लिनिक में यूजीआई स्कोपी रिपोर्ट और एंडोस्कोपी रिपोर्ट दी गई थी। याची ने इलाज के लिए 77 हजार 880 रुपये से ज्यादा कैश जमा कराए। इसके बाद भी क्लिनिक की ओर से ग्राहक को इनका बिल नहीं दिया गया। क्लीनिक की ओर से प्रिंटर काम न करने का हवाला दिया गया।
याचिकाकर्ता ने कई बार फोन पर बिल के लिए संपर्क साधा। इसके बावजूद उन्हें बिल नहीं मिला। कुछ समय बाद ही उनके पिता की इलाज के दौरान अस्पताल में ही मौत हो गई। उसने फिर से क्लिनिक से बिल के लिए संपर्क किया। उन्हें फिर भी बिल नहीं दिया गया। इसके चलते पीडि़त ने सेवा में लापरवाही का आरोप लगाते हुए आयोग में याचिका दायर कर दी।
आयोग ने पीडि़त के पक्ष में सुनाया फैसला
आयोग ने इस मामले में आरोपी क्लीनिक पर पांच हजार का जुर्माना लगा दिया है। साथ ही केस खर्च के तौर पर अतिरिक्त पांच हजार रुपये अदा करने के आदेश दिए हैं। इस केस में आरोपी बनाई गई दोनों इंश्योरेंस कंपनियों के खिलाफ शिकायत कैंसिल कर दी है।