लखनऊ। मेडिसिन की गुणवत्ता को लेकर केजीएमयू के डॉक्टरों ने सवालिया निशान लगाए हैं। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) शिक्षक संघ ने मरीजों और कर्मचारियों को दी जाने वाली दवाओं के लिए सर्वे कराया है। इसके अलावा फीडबैक भी लिया गया। इस आधार पर रिपोर्ट तैयार कर संघ ने केजीएमयू कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद को पत्र भेजकर सुधार के बारे में सुझाव दिया है।

लोकल परचेज कर दी जाती हैं दवाइयां

बता दें कि केजीएमयू में 500 से अधिक शिक्षक, 1000 रेजीडेंट डॉक्टर, 6000 से ज्यादा नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ है। इनके अलावा, एक हजार से अधिक अन्य श्रेणी के कर्मचारी भी हैं। डॉक्टर-कर्मचारियों के साथ इनके परिजनों को केजीएमयू मुफ्त दवाएं मुहैया कराता है। उन्हें ये दवाइयां लोकल परचेज से खरीद कर उपलब्ध करवाई जाती हैं।

मरीजों को दवाएं समय पर नहीं मिल रहीं

मेडिसिन

शिक्षक संघ का कहना है कि ब्लड प्रेशर, थायराइड, डायबिटीज, दिल, न्यूरो समेत दूसरी पुरानी बीमारियों की दवा एक से दो माह बाद दी जा रही हैं। कुछ बीमारियों के लिए लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती है। इस कारण एक साथ ज्यादा दिनों की दवाएं मंगानी पड़ती हैं। प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह का कहना है कि मरीजों को दवाएं समय पर नहीं मिल रहीं हैं।

केजीएमयू कुलपति को पत्र

फीडबैक में भी समय पर दवा न मिलने की शिकायतें सामने आई हैं। इन दवाओं की गुणवत्ता भी ठीक नहीं रहती है। दवा का ब्रांड नेम बदल दिया जाता है। यहां तक दवा के कम्पाउंड में भी तब्दीली कर देते हैं। यह बदलाव अपनी मर्जी से किया जा रहा है। संघ ने इस संबंध में केजीएमयू कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद को पत्र भेजकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है। पत्र में सुधार करने के बारे में सुझाव भी दिए गए है।