जयपुर। आरजीएचएस में कैंसर दवा घोटाले में राजस्थान हाईकोर्ट ने डॉक्टर्स की भूमिका की जांच करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि दुकानदार और डॉक्टर्स की मिलीभगत के बिना यह घोटाला संभव नहीं।

यह है मामला

राज्य में स्वास्थ्य योजना आरजीएचएस में कैंसर दवा के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के घोटाले में नया मोड़ आया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस घोटाले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि दुकानदार और डॉक्टर्स की मिलीभगत के बिना यह घोटाला हो नहीं सकता। ऐसे में डॉक्टर्स की भूमिका की सही ढंग से जांच होनी चाहिए। इन निर्देशों के चलते अब डॉक्टर्स की भूमिका की जांच की जाएगी।

डॉक्टर्स की भूमिका की जांच होगी

मेडिपल्स के डॉ. विनय व्यास, एम्स, निजी व सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स की भूमिका को लेकर डीआईजी एसओजी के सुपरविजन में इस घोटाले में उनकी भूमिका की जांच होगी। गौरतलब है कि आठ माह पहले बासनी थाने में दर्ज हुए इस मामले में पुलिस, साइबर क्राइम व एसओजी की जांच झंवर मेडिकल के जुगल झंवर व उनके बेटे तुषार झंवर तक ही केंद्रित रही।

अब जांच एजेंसी ने डॉक्टर्स को इस व्यापक घोटाले में बुक तक नहीं किया है। इस पर एसओजी की ओर से कहा गया है कि डीआईजी के दिन-प्रतिदिन के सुपरविजन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी से जांच करवाई जाएगी।

बता दें कि सितंबर 2023 में आरजीएचएस के संयुक्त परियोजना निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह किलक ने आरजीएचएस के इस दवा घोटाले की जानकारी मिलने पर बासनी थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई था। उन्होंने बताया था कि ज्ञात हुआ है कि आरजीएचएस लाभार्थी मोहन कंवर काफी समय से लगातार मेडीप्लस अस्पताल जोधपुर से इलाज लेकर स्तन कैंसर बीमारी की महंगी दवाइयां एक ही मेडीकल स्टोर जालोरी गेट स्थित झंवर मेडीकल से ले रही है।

इस मामले को संज्ञान में लेकर एमडी इण्डिया टीम के राज्य प्रमुख डॉ. प्रशांत क्षेत्रिय को इस संबंध में जांच के लिए कहा गया। मरीज मोहन कंवर के स्तन कैंसर के बारे में जांच की गई तो पता चला कि वो चलने-फिरने में असमर्थ है। ऐसे में मामला पुलिस तक पहुंचा।