अहमदाबाद। नकली दवा फैक्ट्री के भंडाफोड़ का मामला प्रकाश में आया है। गुजरात खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने गांधीनगर में अवैध रूप से चल रही एक फैक्ट्री पर छापा मारा। इस कंपनी का मालिक भाविन पटेल बताया गया है।
हानिकारक दवाओं की सप्लाई की आशंका
गुजरात एफडीसीए के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें संदेह है कि फैक्ट्री पूरे राज्य में घटिया और संभावित रूप से हानिकारक दवाइयों की सप्लाई कर रही थी। आयुक्त एचजी कोशिया ने कहा कि छापेमारी से कंपनी में भारी अनियमितताएं सामने आई हंै। कंपनी मालिक पटेल ने कथित तौर पर नकली उत्पादन लाइसेंस का इस्तेमाल किया और कर्मचारियों में कोई योग्य तकनीशियन नहीं रखा।
आशंका है कि डिबासिक कैल्शियम फॉस्फेट (डीसीपी) या स्टार्च जैसे टैबलेट फिलर्स का इस्तेमाल दवा में बिना या अनुचित सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) के किया जा रहा था। इसे एज़िथ्रोमाइसिन, पेरासिटामोल, मिथाइलकोबालामिन (एक विटामिन बी 12 दवा), प्रीगैबलिन (एनाल्जेसिक) और थियोकोलचिकोसाइड (गठिया की दवा) के रूप में बेचा गया था।
फर्जी उत्पादन लाइसेंस किया हासिल
अधिकारियों के अनुसार मिथाइलकोबालामिन, प्रीगैबलिन और थियोकोलचिकोसाइड को डीसीपी, स्टार्च या सस्ते एपीआई से बदल दिया और इन नकली दवाओं को बेच दिया था। मौके से दवाओं के सैंपल लिए गए हैं और आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। जांच में सामने आया है कि पटेल ने दवा फैक्ट्री के लिए कथित तौर पर फर्जी उत्पादन लाइसेंस और जीएसटीआईएन/यूआईएन प्राप्त किया।
उन्होंने टैबलेट और कैप्सूल बनाने के लिए मशीनरी खरीदी और बैंक ऋण भी प्राप्त किया। फैक्ट्री में डमी छर्रे, खाली कैप्सूल के गोले, ओमेप्राज़ोल कैप्सूल, ओमेप्राज़ोल छर्रे और मक्का स्टार्च पाउडर पाए गए हैं। एफडीसीए का कहना है कि छापेमारी के दौरान करीब 4 करोड़ रुपये मूल्य की मशीनरी, पैकेजिंग सामग्री और नकली एपीआई जब्त की गईं। 43 लाख रुपये मूल्य के कच्चे माल और तैयार उत्पाद भी जब्त किए गए हैं।