नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की रोक के वावजूद काम करना लखनऊ के एक और मेडिकल कॉलेज को भारी पड़ा है। सुप्रीम अदालत की रोक के बावजूद 2017-18 के शैक्षणिक सत्र के लिए हाई कोर्ट से एडमिशन की इजाजत लेने का आदेश जीसीआरजी मेमोरियल ट्रस्ट मेडिकल कॉलेज को महंगा पड़ा। इतना महंगा की शायद ही अब वो कानून का उल्लंघन करने का कभी सोचे।

कोर्ट की रोके के बाद भी कॉलेज में एमबीबीएस के 11 छात्रों के दाखिले किए गए, जिसे अब अदालत ने रद्द कर दिया। इतना ही नहीं, कोर्ट ने छात्रों के भविष्य के साथ खेलने के लिए छात्रों को 10-10 लाख रूपए और फीस की रकम वापस देने के आदेश दिए है। कोर्ट ने रोक का उल्लंघन करने पर कॉलेज पर 25 लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया।

कॉलेज के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक अनुशासन की अनदेखी कर आदेश पारित करने के लिए हाईकोर्ट को आड़े हाथों लिया। अदालत ने हाई कोर्ट के रवैये पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उसने ऐसा आदेश पारित करने से पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) और केंद्र सरकार को पक्ष रखने की भी इजाजत नहीं दी। पीठ ने कहा कि छात्रों के प्रवेश की अनुमति देने वाला हाई कोर्ट का आदेश अनुचित, गलत और बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

शीर्ष अदालत की तरफ से कहा गया कि हाई कोर्ट ने न्यायिक शुचिता और अनुशासन का खयाल नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी छात्रों का प्रवेश रद करते हुए कहा कि जिन लोगों ने युवा छात्रों को गुमराह कर उन्हें प्रवेश दिया और वे ऐसे ही नहीं छोड़े जा सकते।