नई दिल्ली। औषधि अधिनियम के तहत एफआईआर का अधिकार पुलिस के पास नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस बारे स्पष्ट किया है। औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत एफआईआर का अधिकार केवल सक्षम अधिकारी को ही है।

न्यायालय मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एमएम) द्वारा एक आवेदन को स्वीकार करने के आदेश को रद्द करने के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसके परिणामस्वरूप एफआईआर दर्ज की गई थी। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की एकल पीठ ने कहा कि पुलिस को औषधि के संबंध में एफआईआर दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए, औषधि अपराधों के संबंध में एफआईआर रद्द की जाती है।

पीठ ने कहा कि यद्यपि न्यायालय को समय सीमा समाप्त होने के बाद भी अपराध का संज्ञान लेने का अधिकार है। इस मामले में, 2019 में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद, बिना किसी स्पष्ट कारण के, जांच पूरी नहीं हुई है।

प्रतिवादी कंपनी ने याचिकाकर्ता-एलएलपी के विरुद्ध आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि उसने उन्हें कथित तौर पर खराब दवाइयाँ दी थीं। शीशियों में कांच के टुकड़े थे और उनमें बाहरी कण दिखाई दे रहे थे। इसका पता उत्पाद की डिलीवरी के बाद चला। शिकायतकर्ता के संज्ञान में लाए जाने के बावजूद, प्रतिवादी-राज्य ने कोई सुधारात्मक उपाय नहीं किया।