नई दिल्ली। खाद्य उत्पादों पर ओआरएस शब्द लिखने पर पाबंदी लगा दी गई है। यह रोक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने लगाई है। प्राधिकरण ने कहा है कि यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू होगा।
एफएसएसएआई ने साफ किया है कि ओआरएस का प्रयोग किसी पेय या ड्रिंक उत्पाद में उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला है। यह प्रावधान फल-आधारित पेय, नॉन-कार्बोनेटेड ड्रिंक और रेडी-टू-ड्रिंक पेय पर समान रूप से लागू होगा। प्राधिकरण ने सभी प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों व केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरणों को आदेश भेजा है। कहा है कि वे इन निर्देशों का कड़ाई से पालन कराएं।
ऐसे सभी उत्पाद भ्रामक की श्रेणी में आएंगे। इन पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2006 की धारा 52 और 53 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें गलत या भ्रमित करने वाले लेबल या एड के लिए दंड का प्रावधान है। कई फ्लेवर्ड ड्रिंक्स, एनर्जी और हाइड्रेशन ड्रिंक्स ने अपने नामों में ओआरएस शब्द जोडक़र प्रचारित करना शुरू कर दिया है। कुछ उत्पादों के पैक पर ओआरएस बड़े अक्षरों में लिखा जा रहा है। इससे उपभोक्ताओं में यह भ्रम फैलता था कि वे डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्य ओआरएस खरीद रहे हैं। इसे लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ लंबे समय से ऐसे दावों पर आपत्ति जता रहे हैं। ये पेय वास्तविक ओआरएस की तरह चिकित्सा उपयोग के लिए नहीं बने होते। इनका सोडियम, ग्लूकोज और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानकों से मेल नहीं खाता।










