नई दिल्ली। एंटी एलर्जी दवा से डिमेंशिया का खतरा होने की बात सामने आई है। कुछ एंटी एलर्जी दवाएं बुजुर्गों में डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। डिमेंशिया विश्वभर में करीब पांच करोड़ 74 लाख लोगों को प्रभावित करता है। यह संख्या 2050 तक लगभग तीन गुना तक बढऩे की उम्मीद है। प्रारंभिक संकेतों में याददाश्त को नुकसान, भ्रम और मूड तथा व्यवहार में बदलाव शामिल हैं।

विश्लेषण से पता चला है कि जिन वृद्ध रोगियों को चिकित्सक प्रथम पीढ़ी के एंटीहिस्टामाइन की अधिक मात्रा लिखते हैं, उनके द्वारा अस्पताल में रहते हुए भ्रम का खतरा अधिक होता है। पहली पीढ़ी के एंटीहिस्टामाइन बुजुर्गों में दवा-संबंधी नुकसान के प्रमुख कारणों में से हैं। हालांकि ये दवाएं हिस्टामाइन संबंधी स्थितियों के लिए संकेतित हैं। इन्हें अनुचित तरीके से निर्धारित किया जा सकता है।

उन्होंने पाया कि भ्रम की कुल व्यापकता 34.8 प्रतिशत थी। पहले पीढ़ी के एंटीहिस्टामाइन को अधिक मात्रा में देने वाले मरीजों में भ्रम का अनुभव करने की संभावना 41 प्रतिशत अधिक थी। अस्पताल में भर्ती बुजुर्गों में भ्रम की स्थिति 50 प्रतिशत तक होती है। यह बुजुर्गों में मृत्यु दर और दीर्घकालिक संज्ञानात्मक हानि जैसे प्रमुख प्रतिकूल परिणामों से जुड़ी हुई है।