नई दिल्ली: नामी हेल्थ जरनल लॉसेन्ट की ताजा रिपोर्ट पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश में महिलाओं का स्वास्थ्य चिंता की स्थिति में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की महिलाएं केरल की महिलाओं से 12 साल कम जीती हैं। राज्य में फैली बीमारियों के दबाव को कम करने के लिए हो रहे कई अध्ययनों का इसमें हवाला दिया गया है। यह पहला मौका है जब पिछले तीस सालों में भारत ने राज्यवार बीमारियों के बोझ और उनके ट्रेंड के आंकड़ों को रीलिज किया है। इसमें दो राज्यों के बीच भिन्नताओं को दर्शाया गया है जो राज्यों के स्तर पर स्वास्थ्य चुनौतियों को समझने के लिए जरूरी है।

इससे सुनिश्चित होगा कि हर राज्य में बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कुछ खास संदर्भों में नीतियां जिम्मेदार होती हैं। जैसे असम, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीमारियों के बोझ की दर सबसे ज्यादा है। जबकि इन राज्यों के मुकाबले केरल, गोवा में दर निम्नतमहै। उदाहरण के लिए असम में पुरुष राष्ट्रीय औसत उम्र 63.6 साल की औसत उम्र से तीन साल कम जीते हैं जबकि केरल में यही औसत उम्र सात साल ज्यादा यानी 73.8 साल होती है। उत्तर प्रदेश में 2016 में महिलाओं की औसत उम्र 66.8 साल आंकी गई थी जो कि राष्ट्रीय औसत उम्र 70.3 साल से चार साल कम थी जबकि केरल में यही उम्र बढ़ कर आठ साल ज्यादा होकर औसत 78.7 साल थी।

इंडिया स्टेट लेवल डिजिज बर्डन इनिशेटिव के निदेशक ललित दनदोना बताते हैं कि पिछले तीन दशकों में भात में भी औसत उम्र बढ़ी है लेकिन चीन और श्रीलंका के मुकाबले यह अब भी ग्यारह साल कम है। भारत के सामने नॉन क्म्युनिकेबल बीमारियों के बढऩे से भी दोहरी बाधा पैदा होती है। पंजाब और तमिलनाडु में डायबिटिज के चलते बीमारियों का बोझ बढ़ रहा है। अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और उड़ीसा में साफ पेयजल, गंदगी और हाथ न धोने की आदत के चलते बीमारियों का बोझ बढ़ जाता है। यहां पर डायरिया से मरने वालों की संख्या सबसे अधिक होती है, खासकर पांच साल से कम उम्र के बच्चे इसका शिकार होते हैं।