गुरुग्राम (हरियाणा)। फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट मामले में फार्मासिस्ट को जेल भेजा है। गुरुग्राम की जिला अदालत ने ये फैसला सुनाया। इसमें राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की महिला फार्मासिस्ट मीनू शर्मा को दस महीने की सजा सुनाई। मामले में शामिल आईआरईओ कंपनी के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश संका को भी सजा सुनाई है। यह सजा अदालत को गुमराह करने के लिए झूठा मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करने के मामले में दी गई है।
शिवाजी नगर थाना पुलिस ने इस फर्जीवाड़े के मामले में एफआईआर दर्ज की थी। यह पूरा विवाद आईआरईओ कंपनी की शिकायत से जुड़ा है। कंपनी ने पुलिस में पूर्व सीईओ रमेश संका के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। कहा गया था कि संका ने 28 दिसंबर 2016 को कंपनी छोड़ते समय गोपनीयता, गैर-प्रतिस्पर्धा और गैर-मानहानि के समझौते का उल्लंघन किया। रमेश संका ने कंपनी के क्लाइंट का महत्वपूर्ण डेटा अपने पास रख लिया। उन्होंने अन्य लोगों के साथ मिलकर एक पार्टनरशिप की और जानबूझकर कंपनी के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज कराने की कोशिश की। कंपनी के पास एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी होने का दावा किया गया था। इसमें संका कथित तौर पर पैसे लेकर शिकायत वापस लेने की बात कर रहे थे।
इस मामले की सुनवाई 17 अप्रैल 2023 को अदालत में होनी थी। इस दौरान रमेश संका के पक्ष की ओर से राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का एक मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया गया। इसका उद्देश्य यह दिखाना था कि सीईओ रमेश संका बीमार हैं। वह अदालत में पेश नहीं हो सकते। हालांकि दूसरे पक्ष ने इस प्रमाण पत्र पर आपत्ति जताते हुए विरोध किया। अदालत ने मामले की गंभीरता को समझते हुए इसकी जांच के आदेश दिए। जांच में सामने आया कि उस विशेष दिन रमेश संका इलाज के लिए अस्पताल गए ही नहीं थे। उन्होंने अस्पताल की तत्कालीन फार्मासिस्ट मीनू शर्मा की सहायता से यह जाली मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाया था। इसका इस्तेमाल अदालत को गुमराह करना था। अदालत ने रमेश संका और मीनू शर्मा को दोषी पाया और उन्हें दस महीने की कैद के साथ-साथ 1500-1500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।










