लखनऊ (यूपी)। मेडिकल स्टोर का लाइसेंस सरेंडर कराने वालों की अब खैर नहीं। औषधि विभाग ने इन पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है।
कफ सिरप की बिक्री के लिए सौदागरों ने नई रणनीति अपनाई है। मोटा लाभ मिलना शुरू होते ही ये दवा दुकान का लाइसेंस सरेंडर कर देते हैं। इससे वे विभाग की सूची से बाहर हो जाते हैं। लेकिन पुराने लाइसेंस नंबर पर कारोबार चलाते रहते हैं। अब औषधि निरीक्षकों ने लाइसेंस सरेंडर करने वालों पर शिकंजा कसने की रणनीति बनाई है।
यह है मामला
कफ सिरप के जरिये नशे का कारोबार होने का खुलासा हुआ है। इसके बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग लगातार जांच अभियान चला रहा है। जांच में ईधिका लाइफ साइंसेज और आर्पिक फार्मास्यूटिकल से इस नेटवर्क का खुलासा हुआ है। औषधि निरीक्षक अन्य एजेंसियों के बिलों का भी मिलान कर रहे हैं। अलग-अलग जिलों में जांच के दौरान कुछ अन्य एजेंसियों के आपूर्ति बिल भी औषधि निरीक्षकों के हाथ लगे हैं। इनका सत्यापन किया जा रहा है। पकड़े गए लोगों से पूछताछ और मिले दस्तावेजों से कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
नशे का कारोबार करने वाले मेडिकल स्टोर संचालकों को धीरे-धीरे मोटा लाभ मिलने लगता है। इसके बाद वे लाइसेंस समर्पण कर देते हैं। कुछ स्टोर संचालकों के यहां कमियां मिलने पर विभाग लाइसेंस रद्द कर देता है। लाइसेंस रद्द होने के बाद ये मेडिकल स्टोर विभाग की सूची से हट जाते हैं। सूची में नाम न होने से ये विभाग की नजर से बच जाते रहे हैं। आसपास के लोग भी इसलिए ध्यान नहीं देते हैं। क्योंकि वे पहले से ही दवा का कारोबार कर रहे हैं। इससे कारोबारियों को सुरक्षित माहौल मिलता है। वे थोक कारोबारियों के नेटवर्क को प्रयोग करने लगते हैं। ये पुराने लाइसेंस नंबर को अपने बिल बाउचर में भी दर्ज करते हैं।










