नई दिल्ली। अब इंसान का क्लोन भी तैयार किया जा सकेगा। चीन के वैज्ञानिकों ने पहली बार बंदरों का क्लोन तैयार करने में सफलता पाई है। इसे इंसानों का क्लोन तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दरअसल, बंदरों की शारीरिक संरचना इंसानों से काफी मिलती है। बंदर की क्लोनिंग पर प्रयोग सफल होने के बाद वैज्ञानिकों ने कहा कि अब जल्द ही इंसानों का क्लोन भी तैयार किया जा सकेगा। इंसानों की क्लोनिंग की टेक्नोलॉजी मिलने पर अल्जाइमर, पर्किंसन जैसी बीमारियों का इलाज भी पहले से आसान हो जाएगा।
क्लोनिंग के लिए वैज्ञानिकों ने डॉली-द शीप टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया और डीएनए की कार्बन कॉपी करके क्लोनिंग तैयार की। क्लोनिंग रिसर्च टीम की लीडर डॉक्टर मु मिंग पू के अनुसार अब चूंकि हमने बंदरों की क्लोनिंग कर ली है तो जाहिर है कि हम इंसानों का क्लोन तैयार करने की दिशा में भी आगे बढ़ गए हैं। टेक्नोलॉजी के लिहाज से अब कोई बैरियर नहीं बचा। वैज्ञानिकों ने झोंग झोंग नाम के एक बंदर का क्लोन तैयार किया। इसका नाम हुआ हुआ रखा गया है।
उन्होंने बताया कि क्लोनिंग टेक्नोलॉजी का सबसे बेहतर इस्तेमाल मेडिकल फील्ड में किया जा सकेगा। दोनों बंदर अब फिट हैं। इन्हें अभी मेडिकल सुपरविजन में ही रखा जा रहा है। गौरतलब है कि सबसे पहले 1997 में किसी जिंदा स्पेसीज का क्लोन तैयार किया गया था। स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों ने एक भेड़ का क्लोन तैयार किया था। इसे डॉली नाम दिया गया था। तब से क्लोनिंग की ये तकनीक डॉली-द शीप के नाम से मशहूर हो गई।