नई दिल्ली। स्वास्थ्य मंत्रालय ने आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, सिद्धा और यूनानी (आयुष) दवाओं पर लोगों का विश्वास बढ़ाने के लिए एक अहम फैसला लिया है। इन चिकित्सा पद्धतियों में इस्तेमाल होने वाली सभी दवाओं की क्वालिटी की जांच की जिम्मेदारी अब सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) को दी गई है। अभी तक सीडीएससीओ सिर्फ एलोपैथिक दवाओं की क्वालिटी की जांच करती थी और उसे लाइसेंस देती थी।
इस फैसले के बाद आयुष में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी अब ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट-1940 के तहत आ जाएंगी। सीडीएससीओ इन दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले मैटेरियल और इन्हें तैयार करने के तौर-तरीका की भी जांच करेगी। इसके लिए आयुष मंत्रालय की ओर से फिलहाल दो डिप्टी ड्रग्स कंट्रोलर, तीन असिस्टेंट ड्रग्स कंट्रोलर और चार ड्रग्स इंस्पेक्टर के पद बनाए गए हैं। आने वाले समय में ड्रग कंट्रोलरों की संख्या को भी बढ़ाया जाएगा ताकि दवाओं की जांच-पड़ताल प्रभावी तरह से हो और उनकी क्वालिटी को अच्छे से मॉनिटर किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष कहा था कि अगर आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, सिद्धा और यूनानी को आधुनिक चिकित्सा पद्धति से मुकाबला करना है तो उन्हें साइंटिफिक तरीके से और मर्ज पर जल्द असर करने वाली दवाएं तैयार करनी होगी।