सागर। जन्म के तुरंत बाद बच्चे को बीसीजी टीका लगाने के मामले में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। नेशनल हेल्थ रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि टीबी जैसी घातक बीमारी से बचाने के लिए बीसीजी टीके नवजातों को न लगाकर कागजों में ही खानापूर्ति कर ली गई है। जांच में पता चला कि स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में ऐसे हजारों बच्चों को टीके लगाए दिखा दिए हैं, जो पैदा भी नहीं हुए। अजन्मे बच्चों को बीसीजी टीका लगाने के मामले में प्रदेश में इंदौर पहले स्थान पर है।
यहां 7500 से ज्यादा अजन्मे बच्चों को टीके लगा दिए हैं। दूसरे स्थान पर सागर, जहां 4300 बच्चों को यह टीका लगा दिखाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार कई जिलों में तो जन्म ले चुके बच्चों को भी बीसीजी टीके नहीं लगाए गए। शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को बीसीजी टीका लगाया जाता है। इससे बच्चे में टीबी का कीटाणु सक्रिय नहीं होता। मनुष्य के शरीर में टीबी के कीटाणु रहते हैं, लेकिन इस टीके के लगने से यह सक्रिय नहीं हो पाते हैं।