नई दिल्ली। विटामिन डी डायबिटीज के इलाज में मदद कर सकता है। वॉशिंगटन के वैज्ञानिकों ने कहा है कि विटामिन डी अग्न्याशय में खराब बीटा कोशिकाओं का इलाज करने में मदद कर सकता है जो हार्मोन इंसुलिन का उत्पादन, भंडारण और उसे छोडऩे में मदद कर सकता है। इससे वह डायबिटीज के इलाज के लिए एक नये दृष्टिकोण के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है। जब बीटा कोशिकाएं निष्क्रिय हो जाती हैं, तो शरीर रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन नहीं बना सकता है और ग्लूकोज का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है। अमेरिका में साल्क इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने एक अप्रत्याशित स्रोत विटामिन डी का इस्तेमाल करके अपना लक्ष्य पूरा किया। कोशिकाओं और माउस मॉडल में विटामिन डी क्षतिग्रस्त बीटा कोशिकाओं के इलाज में फायदेमंद साबित हुआ। साल्क इंस्टीट्यूट के रोनाल्ड इवांस ने कहा कि हम जानते हैं कि डायबिटीज सूजन के कारण हुई एक बीमारी है।
इस अध्ययन में हमने विटामिन डी रिसेप्टर को सूजन और बीटा कोशिका के अस्तित्व दोनों के एक महत्वपूर्ण माड्यूलेटर के रूप में पहचाना। साल्क इंस्टीट्यूट में एक शोध सहयोगी ज़ोंग वी ने कहा कि बीटा कोशिकाओं में विटामिन डी की भूमिका को देखकर यह अध्ययन शुरू हुआ। दरअसल, हमारे शरीर को काम करने के लिए आवश्यक शक्ति ग्लूकोज़ से मिलती है। जो ग्लूकोज़ हम खाते हैं उसके अवशोषण या उसे एब्जॉर्ब करने के लिए इन्सूलिन की ज़रूरत है जो पैनक्रियास से निकलती है। डायबिटीज़ वह अवस्था है जब शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि पैनिक्रियास इन्सूलिन नहीं बना पाता है।
इस अवस्था का पूरा भार हमारे खान-पान पर होता है इसलिए हेल्दी डायट पर ध्यान देने की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है। 25 से 35 के उम्र में तो लोग अपने करियर में आगे बढऩे और बेफिक्र होकर जि़ंदगी जीना पसंद करते हैं। इन सबके बीच एक्सरसाइज़ न करना, ब्रेकफास्ट करना और अनहेल्दी फूड्स खाने जैसी ग़लतियां करते रहते हैं जो डायबिटीज़ जैसी बीमारियों को न चाहते हुए भी आमंत्रण दे ही देते हैं। डॉ. संजय कालरा, कंसल्टेंट एन्डोक्राइनोलोजिस्ट, भारती हॉस्पिटल करनाल वाइस प्रेसिडेंट, साउथ एशियन फेडरेशन ऑफ एन्डोक्राइन सोसाइटी बता रहे हैं। कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण बातें जिन पर ध्यान देकर कम उम्र में डायबिटीज होने के ख़तरे को काफी हद तक कम किया जा सकता हैं।