जबलपुर। रेलवे अस्पतालों में घटिया इंजेक्शन सप्लाई करने का मामला प्रकाश में आया है।  इन इंजेक्शनों को लगाने से मरीजों का स्वास्थ्य सुधरने की बजाय बिगड़ रहा था। इसकी शिकायत मिलने पर मेडिकल विभाग ने तीन इंजेक्शनों को अस्पतालों से वापस मंगाने का आदेश जारी किया है। इन इंजेक्शनों में मेरोपेनेम, आईवी मेट्रोजिल 100 एमएल व आईवी आरएल 500 एमएल, आईवी आईपीआरओ 100 एमएल शामिल हैं।
जानकारी अनुसार पश्चिम मध्य रेलवे का मेडिकल विभाग करोड़ों रुपयों की दवाइयां, इंजेक्शन व अन्य सामग्री की खरीदी करता है। इसे जबलपुर, भोपाल व कोटा मंडलों के मंडल चिकित्सालयों, स्वास्थ्य केंद्रों में सप्लाई किया जाता है। पिछले कुछ माह से जबलपुर में कई इंजेक्शनों की क्वालिटी घटिया होने की शिकायतें सामने आयीं। इन इंजेक्शनों को मरीजों को लगाते ही उनकी हालत बिगडऩे लगती थी। लगातार बढ़ती शिकायतों को देखते हुए अस्पताल के चिकित्सकों, वार्ड नर्सों आदि ने इस संबंध में शिकायत भी अस्पताल प्रबंधन से की, लेकिन अस्पताल प्रबंधन लगातार इस मामले में टालामटोल करता रहा। रेल सूत्रों के मुताबिक कुछ इंजेक्शन खासकर मेरोपेनेम व आईवी मेट्रोजिल 100 एमएल इंजेक्शन से अधिक रिएक्शन (दुष्प्रभाव) सामने आने लगे, जिसके चलते अस्पताल के चिकित्सकों व अन्य चिकित्सकीय स्टाफ के साथ मरीजों के परिजनों का विवाद बढऩे लगा।
इन विवादों की लगातार उच्च स्तर पर शिकायतें भी की जाती रहीं। सूत्रों के मुताबिक अस्पताल के कुछ चिकित्सकों ने इन इंजेक्शनों के संबंध में एमडी व सीएमडी को भी जानकारी दी, अंत में जब विवाद बढ़ा तो तीन प्रकार के इंजेक्शनों को वापस मंगाने का निर्णय लिया। हाई एंटी बॉयोटिक मेरोपेनेम इंजेक्शन के प्रत्येक इंजेक्शन की कीमत 1200 रुपए से 1500 रुपए के बीच होती है। इसे गंभीर मरीज को लगाया जाता है। यह इंजेक्शन पाउडर रूप में होता है और उसका रंग सफेद होता है, लेकिन रेलवे अस्पताल में जो सप्लाई किया गया, वह पिंक था। साथ ही यह पाउडर के रूप में न होकर कई इंजेक्शनों में जमे रूप में मिला। इसी तरह आईवी मेट्रोजिल 100 एमएल व आईवी आरएल 500 एमएल, आईवी आईपीआरओ 100 एमएल को भी इससे पूर्व गुणवत्ताहीन पाये जाने पर वापस मंगा लिया गया।