नई दिल्ली। कार्डिएक अरेस्ट के दौरान हार्ट को फिर से काम करने की स्थिति में लाने के लिए एड्रेनलिन युक्त दवाइयों के सेवन से ब्रेन डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है। यह दावा हाल ही में की गई एक स्टडी में किया गया है। गौरतलब है कि कार्डिएक अरेस्ट को ट्रीट करने के लिए एड्रेनलिन का इस्तेमाल सबसे आखिरी विकल्प होता है। यह हार्ट में न सिर्फ ब्लड फ्लो बढ़ा देता है, बल्कि दिल की धडक़न को वापस लौटाने में भी मदद करता है। हालांकि यह दिमाग में मौजूद बेहद छोटी-छोटी ब्लड वैसल्स यानी रक्त की धमनियों में खून के प्रवाह को कम भी कर सकता है, जिसकी वजह से ब्रेन बुरी तरह डैमेज होने का खतरा बना रहता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसकी वजह से हर 125 मरीजों में सिर्फ एक ही मरीज ही जिंदा रह पाता है।

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ वार्विक के मुख्य लेखक गेविन पर्किंस ने कहा कि हमने पाया कि एड्रेनलिन के फायदे बहुत कम हैं। हर 125 मरीजों पर 1 मरीज ही बचाया जा सका है, लेकिन उस मरीज के दिमाग पर भी एड्रेनलिन के इस्तेमाल का बहुत बुरा असर पड़ता है। यह स्टडी न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश हुई, जिसमें शोधकर्ताओं की टीम ने 8,000 ऐसे मरीज़ों का विश्लेषण किया, जो कार्डिएक अरेस्ट का शिकार हो चुके थे। इनमें रेंडम तरीके से कुछ मरीज़ों को एड्रेनलिन दिया गया, जबकि कुछ को सॉल्ट वॉटर प्लेसबो। लेकिन जिन 128 मरीज़ो को एड्रेनलिन दिया गया था और वे बच गए थे। उनमें से 39 लोगों का ब्रेन बुरी तरह डैमेज हो गया, जबकि सॉल्ट वॉटर प्लेसबो पाने वाले 91 मरीजों में से 16 जो मरीज ऐसे थे, जिनका ब्रेन डैमेज हुआ था। ब्रिटेन के रॉयल यूनाइटेड हॉस्पिटल बाथ के को-ऑथर जैरी नोलन ने कहा कि  इस ट्रायल की वजह से मृतप्राय व्यक्ति को फिर से होश में लाने वाली दवाई के फील्ड की शंकाओं को दूर कर दिया है। अब आम पब्लिक कार्डिएक अरेस्ट को आसानी से पहचान पाएगी, ताकि पीडि़तों की मदद की जा सके।