नई दिल्ली। फार्मासिस्ट बनाने के लिए 4 लाख रुपये का पैकेज दिया जा रहा है। यह हैरतअंगेज खुलासा दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने किया है। फर्जी फार्मेसी रजिस्ट्रेशनों की जांच के बाद गिरफ्तार दिल्ली फार्मेसी काउंसिल (डीपीसी) के पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह सहित 48 लोगों से पूछताछ में यह बात सामने आई। एसीबी की जांच में सामने आया है कि दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में बड़ी संख्या में दलाल सक्रिय हैं।

ये अनपढ़ को भी चार लाख रुपये में मैट्रिक का सर्टिफिकेट, फार्मेसी का डिप्लोमा और फार्मेसी रजिस्ट्रेशन नंबर तक उपलब्ध करवा रहे हैं। इस घोटाले में दलालों के साथ डीपीसी के पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह और कई कॉलेजों के मालिक भी शामिल हैं। 4,900 से अधिक रजिस्ट्रेशन जांच के दायरे में हैं।

ऐसे होता है सौदा

गिरफ्तार किए गए दलाल संजय कुमार ने बताया कि वह ऐसे लोगों को टारगेट करते हैं, जो पढ़े लिखे नहीं हैं और फार्मेसी की दुकान पर काम करते थे। ऐसे लोगों को अपनी फार्मेसी की दुकान खोलने का लालच देकर वह उन्हें फंसाते हैं। उसके बाद 4 लाख से 8 लाख रुपये तक का सौदा तय किया जाता है। इस सौदे में मैट्रिक सर्टिफिकेट से लेकर फार्मेसी की पढ़ाई का डिप्लोमा और फिर दुकाल खोलने के लिए आवश्यक दिल्ली फार्मेसी काउंसिल (डीपीसी) का पंजीकरण नम्बर तक दिया जाता है।

दिल्ली फार्मेसी काउंसिल आवेदकों के दस्तावेजों को कॉलेज से ई-मेल के जरिए वेरिफाई करता है। दस्तावेज सत्यापित होने के बाद रजिस्ट्रार रजिस्ट्रेशन जारी करने से पहले एक इंटरव्यू आयोजित करता है। संजय और उसके सहयोगियों ने इसका फायदा उठाया। उन्होंने काउंसिल और कॉलेज में अपने जानकारों की मदद ली। आरोपी संजय रोहिणी में एक प्रिंटर के पास जाकर फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। दस्तावेज छपने के बाद उन्हें पंजीकरण के लिए डीपीसी की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाता था।

उसके बाद कॉलेज को उनकी जानकारी दी जाती थी। डीपीसी की ओर से ई-मेल के लिए दस्तावेज वेरिफाई होने के बाद रजिस्ट्रेशन नंबर दे दिया जाता था। एक आवेदक से चार लाख रुपये लिए जाते थे और इसमें से 1.5 लाख रुपये कथित तौर पर रजिस्ट्रार को दिए जाते थे।