नई दिल्ली। आयुर्वेदिक, यूनानी और सिद्ध दवाओं के बिना परमिशन लिए विज्ञापन करने पर रोक जारी रहेगी। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी, जिसके तहत औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 170 को हटा दिया गया था।
यह है मामला
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि यह चूक न्यायालय के 7 मई, 2024 के आदेश के विरुद्ध है। आयुष मंत्रालय ने हलफनामा दायर कर 1 जुलाई, 2024 को अधिसूचना जारी की थी। कि औषधि नियम 2024 के तहत नियम 170 को हटा दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में आयुष मंत्रालय ने 2 जुलाई, 2024 के राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम 1945 के नियम 170 और इसके संबंधित रूपों को हटाने की अधिसूचना जारी की है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि उपरोक्त अधिसूचना 7 मई, 2024 को इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध है।
2024 जिसमें यह देखा गया कि मंत्रालय को ही ज्ञात कारणों से 29 अगस्त, 2023 के पत्र को वापस लेने के बजाय 1 जुलाई 2024 को औषधि नियमों से नियम 170 को हटाने के लिए अधिसूचना जारी की गई, जो इस न्यायालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों के विपरीत है। कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक नियम 170 को हटाने वाली 1 जुलाई 2024 की अधिसूचना के प्रभाव पर रोक रहेगी। जब तक आगे कोई आदेश पारित नहीं हो जाता, नियम 170 वैधानिक पुस्तक में बना रहेगा।
बता दें कि नियम 170 लाइसेंसिंग अधिकारियों की मंजूरी के बिना आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी दवाओं के विज्ञापनों पर रोक लगाता है। हालांकि, 29 अगस्त, 2023 को आयुष मंत्रालय ने सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों और आयुष के औषधि नियंत्रकों को पत्र भेजा और निर्देश दिया गया कि आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड द्वारा प्रावधान को छोडऩे की सिफारिश के मद्देनजर नियम 170 के तहत कार्रवाई नहीं की जाए। उस समय नियम को छोडऩे की अंतिम अधिसूचना प्रकाशित होनी बाकी थी।