मुंबई। अल्जाइमर रोग की दवा लेकेनमैब को आस्ट्रेलिया ने मंजूरी दे दी है। डिमेंशिया देखभाल के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए, ऑस्ट्रेलिया की Therapeutic Goods Administration (TGA) ने लेकेनेमैब को शुरुआती चरण के अल्ज़ाइमर रोग के उपचार के लिए मंज़ूरी दे दी है।

यह निर्णय ऑस्ट्रेलिया में बढ़ते अल्ज़ाइमर मामलों के बीच आया है। अब देश में मृत्यु का प्रमुख कारण बन चुका है। लेकेनेमैब इस बीमारी को संशोधित करने वाली केवल दूसरी दवा है। इसे ऑस्ट्रेलिया में नियामक स्वीकृति मिली है। हालांकि यह रोगियों के लिए आशा की किरण है। लेकिन लागत, उपलब्धता और सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ भी उठी हैं।

यह एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी है। यह एमाइलॉयड-बीटा प्लाक्स को निशाना बनाती है। यह अल्ज़ाइमर रोग की मुख्य पहचान मानी जाती है। ये प्लाक्स तब बनते हैं जब असामान्य प्रोटीन उनकी संचार प्रणाली को बाधित करते हैं।
लेकेनेमैब घुलनशील एमाइलॉयड प्रोटोफाइब्रिल्स से जुडक़र प्रतिरक्षा प्रणाली को उन्हें साफ करने के लिए प्रेरित करती है। इससे रोग की प्रगति धीमी पड़ती है।

विशेषकर हल्के संज्ञानात्मक ह्रास या माइल्ड डिमेंशिया वाले मरीजों में। हालांकि, यह दवा लक्षणों को उलट नहीं सकती और न ही रोग को पूरी तरह रोक सकती है। इसका मुख्य लाभ केवल शुरुआती चरणों में याददाश्त ह्रास को धीमा करने में है। इस दवा की स्वीकृति कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल्स के साथ दी गई है। इससे मस्तिष्क सूजन और सूक्ष्म रक्तस्राव का खतरा रहता है।

इसके दुष्प्रभाव भी देखे गए हैं। इनमें सिरदर्द, चक्कर, धुंधला दिखना, और दुर्लभ मामलों में गंभीर रक्तस्राव शामिल है। इसी कारण, यह दवा केवल उन रोगियों के लिए स्वीकृत की है जो APOE ε4 जीन के गैर-वाहक (non-carriers) या heterozygotes हैं।