नई दिल्ली। एंटीबायोटिक दवाइयां अब बेअसर साबित होने लगी हैं। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर छह में से एक जीवाणु संक्रमण में एंटीबायोटिक का असर नहीं हो रहा है। इसका मतलब है कि हर छठे मरीज पर एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो रही हैं। मूत्र मार्ग और रक्त प्रवाह में संक्रमण पैदा करने वाले जीवाणुओं में एंटीबायोटिक प्रतिरोध सबसे अधिक है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और यूरो-जेनिटल गोनोरिया इंफेक्शन पैदा करने वाले जीवाणुओं में प्रतिरोध दर कम देखी गई।

अगर अभी सख्त कदम न उठाए गए तो आने वाले वर्षों में यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है। ग्लोबल एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस सर्विलांस रिपोर्ट 2025 के अनुसार दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रतिरोध दर देखी गई। इसके बाद अफ्रीकी क्षेत्रों का स्थान है। यहां सभी वैश्विक औसत से ऊपर हैं।

बार-बार एंटीबायोटिक दवाएं लेने से बैक्टीरिया इन दवाओं के प्रति प्रतिरक्षा विकसित कर सकते हैं। यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है। इससे संक्रमण की स्थिति में रोगी पर एंटीबायोटिक दवाएं काम करना बंद कर सकती हैं। अस्पताल में रहने की अवधि बढ़ सकती है। इससे संभावित रूप से इलाज का खर्च और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर बोझ बढ़ सकता है।