नई दिल्ली। दवा निर्माता कंपनी सिप्ला ने केंद्र की मोदी सरकार से अनुरोध किया है कि वो कंपनी को अस्थमा और अन्य श्वास संबंधी दवाओं की कीमतों में वृद्धि की अनुमति दे। कंपनी ने ये हवाला दिया है कि इन दवाओं की प्रोडक्शन कॉस्ट में 300 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
मुंबई स्थित फार्मा कंपनी ने देश के दवा मूल्य नियामक, नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) को एक पत्र लिखा है, जिसमें अस्थमा के इलाज के लिए व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली दवाओं के प्रोडक्शन कॉस्ट का जिक्र किया है। आपको बता दें कि NPPA दवा की कीमत और उपलब्धता की निगरानी रखने के लिए रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग के दायरे में आता है।
न्यूज 18 की खबर के मुताबिक, सिप्ला कंपनी के द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि प्रोपेलेंट P227 के पर्याप्त मूल्य में वृद्धि के कारण ही इन दवाओं का प्रोडक्शन महंगा होता जा रहा है। इस दवा का इस्तेमाल कई श्वास संबंधी दवाओं के निर्माण के लिए किया जाता है। पत्र में कहा गया है कि निर्माताओं की कमी और अनुपलब्धता के कारण, इसकी प्रोडक्शन कॉस्ट में लगभग 300 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई है जो हमारी उत्पादन लागत को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।
सिप्ला के द्वारा लिखे गए पत्र में बताया गया है कि ये propellants उचित वाष्प दबाव विकसित करने में मदद करते हैं जिसके कारण चिकित्सा उत्पाद गहरे फेफड़ों तक पहुंचते हैं और अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और अन्य श्वसन रोगों को ठीक करने में मदद करते हैं।