नई दिल्ली। डाबर का ‘100 प्रतिशत फ्रूट जूस’ का दावा गलत ठहराया गया है। सरकारी एजेंसी भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि डाबर का ‘100 प्रतिशत फ्रूट जूस’ का दावा सही नहीं है। मौजूदा खाद्य सुरक्षा नियमों के तहत डॉबर को अपनी पैकेजिंग पर 100 फीसदी फ्रूट जूस लिखने की अनुमति नहीं है। कंपनी का यह कदम उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला है।

FSSAI ने अदालत में तर्क दिया है कि वर्तमान खाद्य लेबलिंग मानदंड ‘100 प्रतिशत’ जैसे संख्यात्मक विवरणकों को मान्यता नहीं देते हैं और ऐसे दावे उपभोक्ताओं को उत्पाद के बारे में गलत धारणा दे सकते हैं. खासकर जूस जैसे प्रोडक्ट के बारे में, जिसमें पानी जैसी अतिरिक्त सामग्री शामिल होती है।

एफएसएसएआई ने फूड बिजनेस से जुड़े कारोबारियों को फलों के रस के लेबल और विज्ञापन से ‘100 प्रतिशत फल रस’ जैसे दावे हटाने का निर्देश दिया था। इसके जवाब में रियल रेंज के फ्रूट जूस बनाने वाली कंपनी डाबर ने तर्क दिया कि एफएसएसएआई का निर्देश कानूनी रूप से गलत है और मौजूदा नियमों की गलतफहमी से उत्पन्न हुआ है.
कंपनी ने क्या किया दावा

कंपनी ने दावा किया कि उसके जूस जैसे रियल एक्टिव व फल के कंसन्ट्रेट में पानी मिलाकर बनाए जाते हैं और इससे प्राकृतिक जूस की संरचना बनी रहती है। हालांकि, खाद्य नियामक ने अपने हलफनामे में कहा कि ‘100 प्रतिशत’ का दावा जारी रखना उपभोक्ताओं को गुमराह करता है, खासकर जब उत्पाद में पानी मिलाया गया हो या कंसन्ट्रेट से छेड़छाड़ की गई हो।

फिलहाल यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और अगली सुनवाई की तारीख 7 जुलाई है. अभी तक डाबर को कोई अंतरिम राहत नहीं मिली है. डाबर ने स्नस्स््रढ्ढ के निर्देश को चुनौती दी थी. इस साल मार्च में दिल्ली उच्च न्यायालय ने डाबर द्वारा दायर याचिका के जवाब में स्नस्स््रढ्ढ को नोटिस जारी किया था, जो नियामक के निर्देश को चुनौती दे रही थी.