नई दिल्ली। पतंजलि आयुर्वेद को दिल्ली हाईकोर्ट ने 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। प्रतिद्वंद्वी डाबर के उत्पादों को धोखा बताने से जुड़े च्यवनप्राश विज्ञापन को हटाने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति तेजस कारिया की पीठ ने कहा कि झूठे, भ्रामक व अनुचित विज्ञापन को संवैधानिक संरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि पतंजलि के च्यवनप्राश विज्ञापन से यह संदेश दिया है कि अन्य सभी निर्माता उपभोक्ताओं को धोखा दे रहे हैं। यदि कोई विज्ञापन अनुमेय सीमा पार कर जाता है तो इसे सुरक्षा नहीं दी जा सकती। अदालत ने उक्त आदेश पतंजलि के विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग करने वाली डाबर इंडिया की याचिका पर दिया।
डाबर इंडिया ने पतंजलि के विज्ञापन को चुनौती दी थी। इसका शीर्षक था 51 जड़ी-बूटियां। एक सत्य। पतंजलि च्यवनप्राश! पतंजलि के विज्ञापन में, एक महिला अपने बच्चे को च्यवनप्राश खिलाते हुए कहती है, चलो धोखा खाओ। इसके बाद, रामदेव कहते हैं कि अधिकांश लोग च्यवनप्राश के नाम पर धोखा खा रहे हैं।








